देशभर में रावण दहन, राष्ट्रपति बोले- अनैतिक कार्यों की वजह से लंकेश बन गया बुराई का प्रतीक
देशभर में दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा हैा। इस दौरान बुराई के प्रतीक के रूप में देशभर में रावण के पुतले का दहन किया गया।
नई दिल्ली [जेएनेन]। देशभर में धूमधाम से दशहरा मनाया जा रहा है। इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के रामलीला मैदान में लव-कुश रामलीला कमेटी के समारोह में पहुचे। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी धार्मिक रामलीला कमेटी के समारोह में शामिल होने पहुंची। इसके अलावा भी देशभर में रावण दहन हुआ।
इस दौरान रावण दहन से पहले संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि यह विजयादशमी का त्योहार मानव मूल्यों और आदर्शों की उत्कृष्टता का प्रतीक है। यह एक ऐसा पर्व है, जो समाज में सच्चाई, नैतिकता और मर्यादापूर्ण व्यवहार को अपनाने की प्रेरणा देता है। लंकेश रावण जैसे विद्वान और वैभव से परिपूर्ण एक राजा को अमानवीय तथा अनैतिक कार्यों की वजह से बुराई के प्रतीक के रूप में देश के कोने-कोने में उसका एक पुतले के रूप में दहन किया जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम का आदर्श जीवन पूरे मानव समाज के लिए विजयदशमी का मुख्य संदेश है।
राष्ट्रपति ने कहा कि समाज के प्रत्येक वर्ग खासकर कमजोर समुदायों को लोगों को सम्मान देना तथा उनके लिए काम करना जितना श्रीराम के जीवन में प्रासंगिक था, उतना ही आज भी प्रासंगिक है। राम-केवट मिलन और या गरीब आदिवासी महिला शबरी के बेर खाना ऐसे उदाहरण हैं, जो समाज में संवेदनशीलता और सद्भावना जैसे मुल्यों को अनुकरणीय बनाते हैं।
कोविंद ने कहा कि त्योहारों को मनाते समय दूसरों को असुविधा हो और वायु एवं ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित कर स्वच्छता बनाए रखना हम सबका उत्तरदायित्व है। ऐसे में अनुशासित जीवन शैली हम सबको के समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का बोध कराती है। राम कथा जैसी महागाथाएं कुछ ऐसी ही शिक्षा देती हैं, जो जीवन के हर क्षेत्र में प्रासंगिक और उपयोगी हैं। आज देश के समक्ष कई चुनौतियां हैं, जिसका सामना हमें धैर्य और साहस के साथ करने की जरूरत है।
पटना में सबसे पहले रावण दहन, सिंदूर की होली
पटना के गांधी मैदान में रावण वध समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। समारोह में रामायण के विभिन्न प्रसंगों को जीवंत किया गया। इस दौरान लंका दहन, मेघनाद व कुंभकर्ण वध आदि के दृश्य जीवंत किए गए। अंत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीर चलाकर रावण वध किया। रावण वध के साथ पटाखों की आवाज के बीच बीच जयश्रीराम से उद्घोष से गांधी मैदान गूंज गया। सूर्यास्त के पहले ही दूधिया रोशनी से गांधी मैदान जगमग हो चुका है।
रावण वध के पहले बंगाली समुदाय में सिंदूर से होली खेली गई। बंगाली समुदाय में यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। सुहागिन महिलाओं ने मां दुर्गा को सिंदूर लगाने के बाद बाद एक-दूसरे को सिंदूर लगाया। इस दिन महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर लगाकर अपने सुहाग की रक्षा की प्रार्थना करती हैं।
पानीपत में दहन से पहले 'रावण' का अपहरण
हरियाणा के पानीपत में रावण का अपहरण कर लिया गया। सुनने में थोड़ा अजीब है, लेकिन यह सच है। सोच रहे होंगे कि सीता के हरण करने वाले रावण का अपहरण कौन और क्यों कर सकता है। दरअसल, विजयादशमी को दशानन के पुतले के दहन की तैयारी हर तरफ धूमधाम से हो रही थी। पानीपत के आजाद नगर रेलवे फाटक स्थित परशुराम धर्मशाला के पास भी तैयारियां जोरों पर चल रही थी। दहन के लिए रावण का करीब 30 फीट का पुतला बनाया गया था। दिनदहाड़े दोपहर करीब एक बजे रावण के पुतले को कोई उठा ले गया।
बताया जाता है कि एक समुदाय के 30 से ज्यादा लोग ट्रैक्टर-ट्राली से पहुंचे थे। उन्होंने भीड़ को किनारे करते हुए पुतले को उठाया और ट्राली में लादकर ले गए। जब तक आयोजकों को पता चला, लोग वहां से निकल चुके थे। इन लोगों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर रावण का पुतला जलाया तो वे उसे उठाकर ले जाएंगे। उनकी रावण के प्रति आस्था है। तब उनकी बात को मजाक में लिया गया था। ये लोग रावण के पुतले को लेकर बिंझोल नहर पर आए। वहां पुतले को उतारकर विधिवत पूजन कर प्रणाम करते हुए नहर में प्रवाहित कर दिया।