कोरोना काल में अदालतों ने सरकारों को सुनाई खरी-खोटी, आईए डालते हैं ऐसी टिप्पणियां पर एक नजर
कोरोना महामारी से लड़ने के लिए केंद्र सरकार ने कई तरह के प्रयास किए जिसमें देश में लॉकडाउन लगाना भी शामिल था। हालांकि इसकी वजह से कई लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा और उन लोगों वे कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया।
नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना महामारी में हर कोई त्रस्त था। सुविधाएं जरूरत के मुकाबले नगण्य साबित हो रही थीं। ऐसे में न्याय के लिए लोग अदालतों में गुहार लगाने पहुंचे। उन तमाम याचिकाओं की सुनवाई के दौरान देश की अदालतों ने की ऐसी टिप्पणियां:
इलाहाबाद हाई कोर्ट
यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था रामभरोसे है। चार महीने में प्रदेश के अस्पतालों में चिकित्सकीय ढांचा और पांच मेडिकल कालेजों को एसजीपीजीआइ स्तर का संस्थान बनाने के लिए कदम उठाएं जाएं।
(मेरठ मेडिकल कॉलेज से एक संक्रमित के गायब होने के मामले में सुनवाई करते हुए टिप्पणी)
मद्रास हाई कोर्ट
चुनाव आयोग ही कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार है। चुनाव अधिकारियों पर अगर मर्डर का चार्ज लगाया जाए तो गलत नहीं होगा।
(26 अप्रैल को सुनवाई के दौरान टिप्पणी)
सुप्रीम कोर्ट
28 अप्रैल, 2021
देश संकट में है। ऐसे में वह (सुप्रीम कोर्ट) मूकदर्शक नहीं रह सकता..दूसरी लहर से निपटने के लिए बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे की उपलब्धता और दवाइयों एवं वैक्सीन की स्थिति क्या है?..अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों का आधार क्या है?..जब एक मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगनी शुरू होगी तो वैक्सीन की कमी को पूरा करने के लिए क्या रूपरेखा तैयार की गई है? अदालत में पेश करें
(जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय विशेष पीठ)
तीन जून
केंद्र सरकार की टीकाकरण नीति मनमाना और तर्कहीन है। टीकाकरण की विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए और वैक्सीन कब-कब खरीदी गई है, इसकी भी जानकारी दी जाए
(टीकाकरण पर सुनवाई के दौरान)
दिल्ली हाई कोर्ट
23 अप्रैल
ऑक्सीजन की आपूíत बाधित करने वाले को फांसी पर लटका देंगे। उच्च अधिकारी हो या कर्मचारी किसी को नहीं बख्शेंगे
(ऑक्सीजन की कमी पर दायर निजी अस्पतालों की याचिका पर)
21 अप्रैल
भीख मांगिए, उधार लीजिए या चोरी करिए, किसी भी कीमत पर अस्पतालों को उपलब्ध कराएं ऑक्सीजन
(ऑक्सीजन आपूíत को लेकर केंद्र सरकार पर टिप्पणी)
एक मई, 2021
दिल्ली को आज ही पहुंचाएं 490 टन ऑक्सीजन, नहीं अवमानना को रहें तैयार।
(दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कीमत पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए की टिप्पणी)
4 मई
शुतुरमुर्ग की तरह आप रेत में सर धंसाइए, हम नहीं धंसाएंगे। आप अंधे हो सकते हैं, हम नहीं
(ऑक्सीजन आपूíत पर केंद्र सरकार पर)
दो जून
टीके की उत्पादन क्षमता का पूरा इस्तेमाल न करने वाले अधिकारियों पर नरसंहार का मामला चलाया जाना चाहिए
(पैनेशिया बायोटेक की याचिका पर)