Move to Jagran APP

लॉकडाउन के चलते सरकारी खरीद न होने से किसान निश्चिंत, देर से बेंचने पर मिलेगी प्रोत्साहन राशि

ज्यादातर राज्य सरकारों ने किसानों को अपनी उपज के भंडारण पर 50 रुपये से 100 रुपये प्रति क्विंटल तक की सब्सिडी देने का ऐलान किया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 08:10 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 08:10 PM (IST)
लॉकडाउन के चलते सरकारी खरीद न होने से किसान निश्चिंत, देर से बेंचने पर मिलेगी प्रोत्साहन राशि
लॉकडाउन के चलते सरकारी खरीद न होने से किसान निश्चिंत, देर से बेंचने पर मिलेगी प्रोत्साहन राशि

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। मंडियों में रबी सीजन की फसलों की खरीद बिक्री के साथ कृषि संबंधी सभी गतिविधियों को सरकार ने लॉकडाउन के प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया है, लेकिन मंडियां खुली होने के बावजूद किसान अपनी उपज वहां बेचने नहीं जा रहा है। मंडियों में फसलों के मूल्य एमएसपी से बहुत नीचे बोले जा रहे हैं। यही वजह है कि देश में एपीएमसी की विभिन्न मंडियों में रबी फसलों की आवक न के बराबर हो रही है।

loksabha election banner

लॉकडाउन: सरकार के प्रोत्साहन की घोषणा से आश्वस्त हैं किसान

दरअसल, सरकारी खरीद चालू होने के बाद ही बाजार में भाव ऊपर उठेगा। मंडियों में व्यापारी लॉकडाउन के चलते सरकारी खरीद न होने से किसानों की जल्दी बेचने की मजबूरी का फायदा उठाना चाहते हैं, लेकिन सरकार की घोषणा से उनकी मंशा को बड़ा धक्का लगा है। ज्यादातर राज्य सरकारों ने किसानों को उनकी रबी फसलों की उपज के भंडारण के लिए प्रोत्साहित किया है, जिसके लिए उन्हें अलग-अलग राज्यों में विभिन्न स्कीम के तहत सब्सिडी दी जाएगी।

हरियाणा में किसान जितनी देर से गेहूं बेचेंगे, प्रोत्साहन राशि बढ़ती जाएगी

हरियाणा में किसान जितनी देर से गेहूं बेचने निकलेंगे, प्रोत्साहन राशि उसी हिसाब से बढ़ती जाएगी। जबकि उत्तर प्रदेश में बखारी यानी अनाज रखने के लिए एकमुश्त धनराशि देने की योजना है। वैसे तो राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण भंडारण योजना चल रही है, जिसका लाभ किसान उठा सकते हैं। इसीलिए लॉकडाउन की चुनौतियों से किसान निश्चिंत हैं।

किसान फसल बेचने को मजबूर नहीं, मंडियों में आवक नहीं

यही वजह है कि किसी दबाव में आकर किसान अपनी फसल बेचने को मजबूर नहीं है। तभी तो खुली होने के बावजूद मंडियों में आवक न के बराबर हो रही है। गुजरात व मध्य प्रदेश में ज्यादातर फसलों की कटाई और मड़ाई हो चुकी है, लेकिन सरकारी खरीद शुरु न होने से उनकी आवक मंडियों में नहीं हो रही है।

खुले बाजार में कीमतें समर्थन मूल्य के मुकाबले नीचे

खुले बाजार में कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुकाबले बहुत नीचे हैं। गेहूं का भाव गुजरात की मंडियों में 1490 रुपये से 1850 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि एमएसपी 1925 रुपये निर्धारित है। इसी तरह मध्य प्रदेश का प्रीमियम गेहूं शरबती जो बाजार में 2500 से 2700 रुपये क्विंटल बिकता है, उसका मूल्य 1850 से 1980 रुपये प्रति क्विंटल बोला जा रहा है। उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं की आवक न के बराबर रही है।

चना का समर्थन मूल्य 4875 रुपये प्रति क्विंटल, मंडियों में भाव 3400 रुपये 

दलहन फसलों में चना की सबसे अधिक खेती मध्य प्रदेश में होती है, जहां की विभिन्न मंडियों में भाव 3400 रुपये 3680 रुपये प्रति क्विंटल बोला जा रहा है। जबकि राजस्थान में चना 3500 रुपये क्विंटल बिक रहा है। इसके मुकाबले सरकार का घोषित एमएसपी 4875 रुपये प्रति क्विंटल है। किसानों को बेसब्री से सरकारी खरीद शुरु होने का इंतजार है। रबी सीजन में तिलहनी फसलों में सरसों प्रमुख है, जिसका 42 फीसद उत्पादन अकेले राजस्थान में होता है।

सरसों की बंपर फसल, कटकर किसान के घर तक पहुंच चुकी, लेकिन मंडियों में नहीं पहुंची

इस बार सरसों की बंपर फसल हुई है, जो कटकर किसान के घर तक पहुंच चुकी है। लेकिन मंडियों में नहीं पहुंची। 27 मार्च को यहां की मंडियों में मात्र 20 टन सरसों बिकने के लिए पहुंची। भाव 3675 रुपये से लेकर 3700 रुपये प्रति क्विंटल है। जबकि सरसों का एमएसपी 4425 रुपये प्रति क्विंटल है। इसी वजह से सरसों का किसान अपनी उपज बेचने को तैयार नहीं है।

राज्य सरकारों ने किसानों को भंडारण पर 100 रुपये प्रति क्विंटल तक की सब्सिडी देने का किया ऐलान

ज्यादातर राज्य सरकारों ने किसानों को अपनी उपज के भंडारण पर 50 रुपये से 100 रुपये प्रति क्विंटल तक की सब्सिडी देने का ऐलान किया है। किसान नेता चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार के इस ऐलान के बाद किसान अपनी उपज बेचने के दबाव में नहीं है। इससे उसे दोहरा फायदा मिल सकेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.