आइआइआइटी में भी दोहरे डिग्री कोर्स, 5 साल में मिलेगी बीटेक के साथ एमटेक और एमबीए की डिग्री
आइआइआइटी काउंसिल ने इसके साथ ही आइआइटी की तर्ज पर कमजोर छात्रों को सीधे निकालने के बजाय उन्हें सम्मानजनक विदाई देने का भी फैसला लिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आखिरकार आइआइटी (भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान) की तर्ज अब आइआइआइटी (भारतीय सूचना प्रोद्यौगिकी संस्थान) भी दोहरे डिग्री कोर्स शुरु कर सकेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता वाली आइआइआइटी काउंसिल ने बुधवार को इसकी मंजूरी दे दी। इसके साथ ही आइआइआइटी में पढ़ने वाला कोई भी छात्र अब सिर्फ पांच सालों में ही बीटेक के साथ एमटेक या एमबीए की भी डिग्री ले सकेगा। फिलहाल अब तक दोनों कोर्सो के लिए छात्र को छह साल का समय लगता था।
ड्यूअल एमटेक और ड्यूअल एमबीए
आइआइआइटी में दोहरे डिग्री कोर्स शुरु करने की जानकारी बुधवार को ही 'दैनिक जागरण' ने किया था। फिलहाल इस कोर्स को ड्यूअल एमटेक और ड्यूअल एमबीए नाम दिया गया है। मौजूदा समय में ऐसे दोहरे कोर्स सिर्फ बांबे, दिल्ली, मद्रास जैसे कुछ चुनिंदा आइआइटी में चल रहे है।
ज्वाइंट डिग्री प्रोग्राम शुरु करने की अनुमति मिली
काउंसिल ने इसके साथ ही पीएचडी को लेकर ज्वाइंट डिग्री प्रोग्राम (जेडीपी) शुरु करने की भी अनुमति दी है। बैठक की अध्यक्षता करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सभी आइआइआइटी से उद्योगों की जरूरत के मुताबिक कोर्स शुरु करने पर जोर दिया है। साथ ही परस्पर सहयोग और शोध व नवाचार को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया है।
डायेक्टर के खाली पदों को लेकर फैसला
काउंसिल ने इसके साथ ही संस्थानों में डायेक्टर के खाली पदों को लेकर भी फैसला लिया है। इसके तहत जब तक सेलेक्शन कमेटी कोई फैसला लेती है, तब तक आइआइआइटी में अस्थाई तौर पर डायरेक्टर नियुक्त करने का अधिकार काउंसिल के अध्यक्ष यानि मानव संसाधन विकास मंत्री को दिया गया है। काउंसिल की बैठक में इसके साथ ही एजेंडे में शामिल अन्य विषयों पर भी चर्चा हुई। साथ ही इसके लिए संबंधित डायरेक्टरों को भी फैसला लेने के लिए अधिकृत किया गया है।
आइआइटी की तर्ज पर कमजोर छात्रों को मिलेगी सम्मानजनक विदाई
आइआइआइटी काउंसिल ने इसके साथ ही आइआइटी की तर्ज पर कमजोर छात्रों को सीधे निकालने के बजाय उन्हें सम्मानजनक विदाई देने का भी फैसला लिया है। इसके तहत उन्हें बीएससी जैसी डिग्री लेने का प्रस्ताव किया गया है। ताकि वह आइआइटी से निकलकर सम्मानजनक जीवन जी सके। फिलहाल छात्रों को लेकर यह फैसला प्रवेश के बाद उनके दो साल के प्रदर्शन को देखने के बाद लिया जाएगा।