जानिए, क्यों पहली बार पूर्व तटीय रेलवे की संपत्तियों की सुरक्षा में लगाए गए ड्रोन
कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन के बीच पूर्व तटीय रेलवे ने पहली बार अपनी संपत्तियों की रक्षा के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन के बीच पूर्व तटीय रेलवे ने पहली बार अपनी संपत्तियों की रक्षा के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया है। पूर्व तटीय रेलवे का मुख्यालय ओडिशा के भुवनेश्वर में है। पूर्व तटीय रेलवे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त राजा राम के अनुसार, 'लॉकडाउन के दौरान कोच, पीआरएस काउंटर आदि इस्तेमाल में नहीं हैं और लोगों की नजरों से दूर हैं। इसके अलावा रेलवे स्टेशन, माल यार्ड, वैगन स्टॉक आदि की सुरक्षा भी जरूरी है। इन सबकी सुरक्षा की जिम्मेदारी आरपीएफ के पास है। लॉकडाउन के दौरान नक्सली हिंसा प्रभावित पूर्व तटीय रेलवे क्षेत्र में विभागीय संपत्तियों की सुरक्षा कठिन चुनौती है। यही वजह है कि रेलवे के इतिहास में पहली बार इन संपत्तियों की सुरक्षा में चौबीसों घंटे ड्रोन को लगाया गया है।'
रेलवे ने सीमेंट कंपनियों से माल उतारने को कहा
रेलवे ने सीमेंट कंपनियों से मालगाडि़यों पर लदे उनके सामान को शीघ्र उतरवाने के लिए कहा है, ताकि उनके जरिये देश के दूसरे हिस्सों में आवश्यक सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। सूत्रों ने सोमवार को बताया कि करीब 300 मालगाडि़यों में सीमेंट की बोरियां भरी हुई हैं और कंपनियां उन्हें उतरवाने में रुचि नहीं ले रही हैं। इसका कारण कि रेलवे ने मौजूदा स्थितियों को देखते हुए डेमरेज आदि शुल्क को माफ कर दिया है। इसके कारण कंपनियों को कोई नुकसान नहीं हो रहा है। रेलवे ने कंपनियों को चेतावनी दी है कि अगर वे शीघ्र रैक को खाली नहीं करती हैं तो शुल्क लागू कर दिया जाएगा।
रेलवे हेल्पलाइन पर 10 दिनों में 1.25 लाख पूछे गए सवाल
रेलवे ने बताया कि देशभर में 21 दिनों के लॉकडाउन लागू होने के बाद 10 दिनों में उसकी हेल्पलाइन पर 1.25 लाख सवाल पूछे गए। इनमें से लगभग 87 फीसद सवालों का सीधे कर्मचारियों ने जवाब दिया। रेलवे ने लॉकडाउन के बाद नियंत्रण कार्यालय की स्थापना की है। बता दें कि लॉकडाउन के दौरान रेलवे ने यात्री सेवाओं को रद कर दिया है। सिर्फ मालगाडि़यां ही चल रही हैं। इधर, रेलवे ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए रेल के डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करना शुरू कर दिया है, ताकि विकट परिस्थितियों का सामना किया जा सके।