कोरोना काल में टूट गया दुल्हनों की धूमधाम से शादी और हनीमून का सपना
धूमधाम से शादी और फिर हनीमून के सपने न्यू नॉर्मल में दोनों दांव पर हैं। अप्सरा की तरह सजकर फूल फेंकती सहेलियों के साथ शादी के स्टेज पर चढ़ना तरह-तरह के पोज देना... ये सब जैसे दुल्हन के लिए सपना ही बन गया है।
नई दिल्ली, यशा माथुर। बैंड बाजा, बराती, आतिशबाजी, रिश्तेदारों का हुजूम, दोस्तों की चुहलबाजी। इन्हीं सपनों को जी रही थीं हिना। 2 दिसंबर की शादी तय हुई थी। हेमंत और हिना ने काफी इंतजार के बाद अपने माता-पिता को राजी किया था। दोनों स्कूल के समय से दोस्त थे। इंजीनियरिंग कॉलेज में भी साथ रहे और एनालिस्ट का कोर्स करने कनाडा भी साथ गए।
कोर्स पूरा करने के बाद दोनों की अच्छे पैकेज पर नौकरी लगी। सेटल होने के बाद ही उन्होंने अपने माता-पिता से बात की और अपनी इच्छा बताई। जब सब तय हो गया तो कोरोना आ गया। कनाडा से आना मुश्किल, आ जाएं तो जाना मुश्किल। वापस नहीं जा पाए तो नौकरी बचाना मुश्किल। कॅरियर बनाने के संघर्षों पर पानी फिरता देख हिना ने शादी की तारीख दिसंबर से आगे बढ़ाने का फैसला ले लिया है।
इस दिन को यादगार बनाना है : महंगा लहंगा भी पहनना है, सभी रिवाज भी करने हैं, क्योंकि शादी तो बार-बार होगी नहीं। यही सोच रही हैं हिना। कोरोना के इन दिनों में उन्हें अपने सपनों के साथ समझौता करना पड़ेगा, जो उन्हें हरगिज नहीं करना है। वैसे ही दुल्हन बनना है और दोस्तों के साथ शादी के खास दिन को यादगार बनाना है। ऐसे में कोरोना खत्म होने और स्थितियां सामान्य होने का इंतजार करना ही उन्हें बेहतर लगा। हिना कहती हैं, हमसे घरवाले कह रहे हैं कि तय तारीख पर कोर्ट मैरिज कर लो। बाद में अच्छी सी पार्टी कर लेंगे या सौ लोगों के साथ ही साधारण सी शादी कर देते हैं, लेकिन मुझे वही हल्ला-गुल्ला और धूमधाम चाहिए। सब लोग सजें, सारे रिश्तेदार और दोस्त आएं, खूब खाना-पीना हो, किसी के मन में कोई डर न हो। सब जमकर एंजॉय करें। शादी के सपने पूरे करने के लिए परिस्थितियां सामान्य होने का इंतजार करेंगी हिना।
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शादी तो करनी ही है : करें तो क्या करें, शॉपिंग तो शुरू की है, लेकिन कैसा होगा जिंदगी का यह सुनहरा दिन, कल्पना नहीं कर पा रही हैं इस सीजन में फेरे लेकर नया संसार बसाने वाली दुल्हनें। क्या है उनकी मनोस्थिति? कैसी है तैयारी? क्या इसी डर और आशंका के बीच बंध जाएंगी वे पवित्र बंधन में? 27 नवंबर को शादी कर रहीं सिमरन अग्रवाल इन प्रश्नों के जवाब में कहती हैं, शादी में हमें हर चीज का ध्यान रखना है। यह वैसी शादी नहीं होगी। मेरी ससुराल दूसरे राज्य में है। हम दुआ कर रहे हैं कि कोविड के मामले बढ़ने के साथ राज्यों की सीमाएं पार करने में परेशानियां न आएं। मुश्किल यह है कि कोरोना के समय भी बाजारों में लोग सावधानी नहीं बरत रहे हैं। शादी को लेकर अब बहुत समय तक इंतजार भी नहीं कर सकते हैं। इसलिए करना तो है ही।
शादी की तारीख आगे बढ़ा दी : शादी को आगे बढ़ाकर इस समय सगाई कर लेने का रास्ता निकाला है माल्टा हाई कमीशन, नई दिल्ली में वीजा ऑफिसर के पद पर काम कर रहीं शिखा शर्मा ने, लेकिन सही जगह तय करना और जितने भी मेहमान आते हैं उनके लिए सुरक्षा संबंधी सभी उपाय बनाए रखना चुनौती जैसा लग रहा है उन्हें व उनके घरवालों को। शिखा शर्मा कहती हैं, मेरी शादी नवंबर में होने वाली थी, लेकिन कोरोना की वजह से इस समय शादी करना अच्छा नहीं लग रहा है। इसलिए शादी की तारीख आगे बढ़ा दी है।
अब नवंबर में मैं सगाई कर रही हूं और अप्रैल में मेरी शादी होगी। मुख्य रूप से हमें साफ-सफाई और अन्य महत्वपूर्ण बातों को भी ध्यान में रखना है। हमें बहुत अच्छी जगह देखनी होगी ताकि सभी लोग सुरक्षित रहें। शादी के तीन-चार समारोह करना बहुत मुश्किल था। इसलिए अभी सगाई ही कर रही हूं। कभी केस बढ़ रहे हैं, कभी कम हो रहे हैं। पता ही नहीं लग रहा कि नवंबर में भी कैसी स्थितियां होंगी। कैसे सबको निमंत्रण देंं। अप्रैल तक भी बाजार ज्यादा नहीं जा पाऊंगी, जो सोचा था वो सब नहीं कर पाऊंगी।
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सारी योजनाओं पर पानी फिर गया : जूही पेशे से वेडिंग प्लानर हैं। वह अपनी शादी को खास बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती थीं। जूही ने मार्च में दुबई जाकर सगाई की थी। कुछ ऐसी ही तैयारियां शादी के लिए भी कर रही थीं। हनीमून भी प्लान कर लिया था, लेकिन अब सब पर पानी फिर गया है। शादी की तारीख आगे बढ़ने से जूही बहुत दुखी हैं। इस कोरोना काल ने शादी के सपने संजोने वाली दुल्हनों की उम्मीदों को ग्रहण लगा दिया है।
काश कोरोना संक्रमण नहीं होता : नई दिल्ली के माल्टा हाई कमीशन की वीजा ऑफिसर शिखा शर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमण नहीं होता तो खूब जमकर शॉपिंग करती। इस समय तो जरूरी आभूषण खरीदने तक के लिए जाना मुश्किल हो रहा है। हम भीड़भाड़ वाली जगहों में नहीं जा रहे हैं, लेकिन बाजारों में लोग कोरोना संबंधी किसी भी गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। बिना मास्क के ग्रुप्स में घूम रहे हैं। हर समय दिमाग में रहता है कि कहीं कुछ हो न जाए।
इसलिए बाजार जाकर चीजें वैराइटी में नहीं देख पा रहे हैं। हमारे पास विकल्प कम हैं। आसपास से ही महंगी चीजें खरीदनी पड़ रही हैं। शारीरिक दूरी के नियमों के पालन की वजह से ज्यादा दोस्तों और रिश्तेदारों को नहीं बुला पा रहे हैं। हर रिश्तेदार के परिवार से दो लोगों को बुला रहे हैं तो मेरे कजंस भी नहीं आ पाएंगे। अगर कोरोना संक्रमण नहीं होता तो बात ही कुछ और होती। हम बड़े पैमाने पर कार्यक्रम करना चाहते थे, लेकिन अब वैसा नहीं हो पाएगा। अपनी मनपसंद मेकअप र्आिटस्ट भी नहीं बुला पाऊंगी। इसलिए जो मेकअप आर्टिस्ट घर आ पाएंगी उन्हें ही बुलाऊंगी। अपनी मनपसंद ड्रेस के लिए मैं केवल अपनी बहन के साथ बाजार गई और खरीददारी की।
सपनों पर पड़ रहा प्रभाव : भावी दुल्हन सिमरन अग्रवाल ने बताया कि लहंगा वगैरह तो मैंने खरीद लिया है, लेकिन मेरे सपनों पर काफी प्रभाव पड़ रहा है। मेरे दोस्त ही नहीं आ रहे हैं। यही नहीं अच्छे वेन्यू भी नहीं मिल रहे हैं। चीजें लगती छोटी हैं, लेकिन बहुत प्रभावित कर रही हैं। लिस्ट में से बहुत से मेहमानों के नाम काटने पड़ रहे हैं। दोस्तों के नाम भी कट रहे हैं।
कोरोना के चक्कर में मध्यमवर्गीय परिवारों पर वित्तीय रूप से भी काफी प्रभाव पड़ा है। इन दिनों जो लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं और नौकरी से जुड़े हैं उनके हालात ठीक हैं, लेकिन व्यवसायियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। हमें बजट देखना पड़ रहा है साथ ही यह भी देखना है कि कैसे मैनेज करेंगे। मेहमान भी बुलाने हैं, लेकिन सरकार की गाइडलाइंस का पालन भी करना है।
कोर्ट में हुई शादी : पेटीएम की टीम लीडर ऑपरेशंस सुपोर्शी वोरोनिका दास ने बताया कि मेरी शादी चार अगस्त को हुई है। कोरोना की वजह से हमारे पास कोर्ट मैरिज ही एक विकल्प था। एक दुल्हन के रूप में मेरे भी काफी सपने थे, लेकिन मैं उन्हें पूरा नहीं कर पाई। हमारी सभी जरूरी बुकिंग्स हो गई थीं, लेकिन सब कैंसिल करवाना पड़ा। मेरी उम्मीदों के विपरीत बहुत ही साधारण शादी हुई। शादी के पहले भी कई रिवाज होते हैं और शादी का माहौल बनता है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। मैं पार्लर जाकर तैयार हुई, लेकिन बाद में लगा कि मैं तैयार भी क्यों हुई। कारण, मास्क लगाकर ही कोर्ट जाना था और वहां पर सिर्फ हस्ताक्षर करने थे। पांच मिनट लगे और शादी हो गई। शादी का उत्साह था, लेकिन यह शादी अलग ही थी।
जैसा लड़कियां सोचती है कि मेरा लहंगा, मेकअप आदि ऐसे होगा, स्टेज पर ऐसे जाना है, वैसा कुछ भी नहीं हुआ। एक-दूसरे को माला जरूर पहनाई। शादी पहले भी एक बार आगे बढ़ चुकी थी। इसलिए मेरे माता-पिता कोर्ट की तारीख पर शादी कर देना चाहते थे, क्योंकि यह भी बहुत मुश्किल से मिली थी। हालांकि कुछ मेहमान बुलाए जा सकते थे, लेकिन सभी को इकट्ठा करना खतरे से खाली नहीं था।