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डीआरडीओ की प्रणाली से लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकेंगी भारतीय पनडुब्बियां

एआइपी को पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों में लगाया जाता है और इनसे उनकी पानी के नीचे रहने की क्षमता में वृद्धि होती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 01:35 AM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 01:35 AM (IST)
डीआरडीओ की प्रणाली से लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकेंगी भारतीय पनडुब्बियां
डीआरडीओ की प्रणाली से लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकेंगी भारतीय पनडुब्बियां

नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत डीआरडीओ द्वारा बनाए गए एयर इंडीपेंडेंट प्रोपल्शन (एआइपी) सिस्टम्स को भारतीय नौसेना की कलवारी श्रेणी की पनडुब्बियों में फिट किया जाएगा। इस सिस्टम की वजह से भारतीय पनडुब्बियां लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकेंगी।

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एआइपी को पनडुब्बियों में लगाने से पानी के नीचे रहने की क्षमता में वृद्धि होती है

एआइपी को पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों में लगाया जाता है और इनसे उनकी पानी के नीचे रहने की क्षमता में वृद्धि होती है अन्यथा पनडुब्बियों को अपनी बैट्रियां चार्ज करने के लिए बार-बार पानी की सतह पर आना पड़ता है।

पहली पनडुब्बी का पहला रीफिट वर्ष 2023 में निर्धारित है

फ्रांसीसी कंपनी नेवल ग्रुप के सीनियर एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट एलेन गुइलो ने कहा, 'डीआरडीओ द्वारा निर्मित एआइपी को कलवारी श्रेणी की पनडुब्बियों में उनके रीफिट कार्यक्रम के दौरान फिट किया जाएगा। आइएनएस कलवारी श्रेणी की पहली पनडुब्बी का पहला रीफिट वर्ष 2023 में निर्धारित है।'

डीआरडीओ का एआइपी सिस्टम पनडुब्बियों की क्षमता में वृद्धि करेगा

उन्होंने बताया कि डीआरडीओ का एआइपी सिस्टम अच्छा है और यह पनडुब्बियों की क्षमता में वृद्धि करेगा। डीआरडीओ इसे विकसित करने के लिए पुणे स्थित नेवल मेटीरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी (एनएमआरएल) में नौसेना के साथ मिलकर कार्य करता रहा है।

मेक इन इंडिया को बढ़ावा देगा कोरोना संकट, केमिकल, मशीनरी आइटम का आयात प्रभावित

कोरोना वायरस भले ही चीन में इंसानी जिंदगी के लिए खतरा बनकर आया हो, लेकिन यह भारतीय व्यापारियों और कारोबारियों को मेक इन इंडिया सोच को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है। दरअसल, चीन से बहुत सारे उत्पादों के आयात पर अचानक रोक लगने के बाद घरेलू कंपनियों ने अपने उत्पादों का उत्पादन बढ़ा दिया है।

इसका सबसे अच्छा उदाहरण मेडिकल के क्षेत्र में सामने आया है। अभी तक चीन से आने वाले सर्जिकल मास्क, ग्लब्स समेत दर्जनों उत्पादों की खपत ज्यादा थी, लेकिन चीन से जब माल आ ही नहीं पा रहा है तो स्थानीय कंपनियों ने खुद ही इनका उत्पादन बढ़ा दिया।


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