डीआरडीओ ने तैयार किया लैंड बेस्ड एआईपी प्रोटोटाइप सिस्टम, जानें इसके बारे में और बहुत कुछ
एयर इंडिपेंडेंट प्रपल्शन सिस्टम से चलने वाली सबमरीन में आवाज नहीं होती है। इसलिए ये दुश्मन से छिपी रह सकती है। वहीं न्यूक्लियर रिएक्टर से चलने वाली सबमरीन में आवाज होती है जिससे दुश्मन उसकी पॉजीशन के बारे में पता लगा सकता है।
नई दिल्ली (एएनआई)। डीआरडीओ ने एयर इंडिपेंडेंट प्रपल्शन सिस्टम या एआईपी (land-based prototype of the Air Independent Propulsion (AIP) system) का सफलतापूर्वक एक लैंड बेस्ड प्रोटोटाइप तैयार किया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये जरूरत के हिसाब से अधिक ताकत दे सकता है। आपको बता दें कि एआईपी का इस्तेमाल कई मायनों में बेहद खास होता है, खासतौर पर सबमरीन में। दरअसल, इस सिस्टम की वजह से नॉन न्यूक्लियर सबमरीन वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन के बिना ऑपरेट कर पाती है। इस तरह की सबमरीन में डीजल इलेक्ट्रिक प्रपल्शन सिस्टम की जगह इसको बदला जा सकता है।
आपको बता दें कि पूरी दुनिया में दस देश एआईपी सबमरीन का निर्माण करते हैं। वहीं दुनिया के करीब 20 देश इस तरह की सबमरीन का संचालन करते हैं। इसके निर्माणकर्ताओं में जर्मनी, भारत, जापान, स्वीडन, फ्रांस, रूस, स्पेन, चीन का नाम शामिल है। वहीं सबमरीन संचालन करने वालों में इजरायल, दक्षिण कोरिया, मिस्र, ग्रीस, जर्मनी, इटली, नॉर्वे, पुर्तगाल, तुर्की, सिंगापुर, स्वीडन, जापान, पाकिस्तान, ब्राजील, स्पेन, भारत, रूस और चीन का नाम शामिल है। भारत ने सभी छह कलवरी क्लास की सबमरीन में पहले अपग्रेडेशन के तहत एआईपी सिस्टम लगाना है।
आधुनिक गैर न्यूक्लियर सबमरीन न्यूक्लियर सबमरीन से ज्यादा बेहतर तरीके से काम कर पाती है और इनकी दुश्मन से छिपे रहने की संभावना भी अधिक होती है। न्यूक्लियर पावर शिप की ही यदि बात करें तो ये कूलेंट को पंप करते हैं। इसकी वजह से इंजन की जरूरत से अधिक आवाज उसको दुश्मन की पकड़ में ला सकती है। इस आवाज की वजह से समुद्र में जो तरंग बनती हैं उनकी वजह से दुश्मन का जहाज या सबमरीन उसकी पॉजीशन का पता लगा सकती हैं। वहीं गैर न्यूक्लियर सबमरी जो बैटरी या एयर इंडिपेंडेंट प्रपल्शन सिस्टम पर चलती हैं, पूरी तरह से शांत होती है। इसके बावजूद समुद्र की अधिक गहराई में जाने की बात करें तो न्यूक्लियर पावर सबमरीन का दबदबा अधिक है लेकिन तटीय संचालन में गैर न्यूक्लियर सबमरीन ज्यादा इफेक्टिव होती हैं।