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DRDO ने किया आकाश न्यू जेनरेशन मिसाइल का सफल परीक्षण, वायुसेना होगी और मजबूत

डीआरडीओ ने सोमवार को ओडिशा के तट से इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से आकाश एनजी (न्यू जेनरेशन) मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया। आकाश एनजी एक नई पीढ़ी का सरफेस-टू-एयर मिसाइल है जिसका उपयोग भारतीय वायुसेना द्वारा उच्च पैंतरेबाजी वाले हवाई खतरों को रोकने के उद्देश्य से किया जाता है।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 05:32 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 07:49 PM (IST)
DRDO ने किया आकाश न्यू जेनरेशन मिसाइल का सफल परीक्षण, वायुसेना होगी और मजबूत
इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से आकाश एनजी (न्यू जेनरेशन) मिसाइल का सफल प्रक्षेपण

लावा पांडे, बालेश्वर। भारत द्वारा स्वदेश में निर्मित मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली आकाश प्रक्षेपास्त्र का सोमवार दोपहर को सफलतापूर्वक परीक्षण किया है यह परीक्षण चांदीपुर परीक्षण परिसर एलसी 3 से दोपहर करीब 2:40 पर किया गया है और यह परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा। स्वदेशी निर्मित मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र आकाश को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है। यह प्रक्षेपास्त्र विमान को 30 किलोमीटर दूर एवं 18000 मीटर ऊंचाई तक टारगेट कर सकता है। इसमें लड़ाकू जेट विमान क्रूज़ मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है।

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दुश्मन जब तक इसको रोकने का प्रयास करेगा तब तक यह उसे मार कर नेस्तनाबूद कर देगी। इसको एंटी मिसाइल के तौर पर भी उपयोग में लाया जा सकता है। यह भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना के साथ परिचालन सेवा में है।

आकाश 30 किलोमीटर की एक अवरोधक सीमा के साथ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है इसका वजन 720 किलोग्राम व्यास 35 सेंटीमीटर और लंबाई 5.78 मीटर है आकाश सुपर सोनिक गति पर 2. 5 मैक के आसपास पहुंचती है यह 18 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकती है और ट्रक और पहियेदार दोनों प्लेटफार्म से फायर किया जा सकता है। इस मिसाइल को चरण बद्घ सारिणी फायर कंट्रोल रडार द्वारा निर्देशित किया जाता है, जिसे राजेंद्र कहा जाता है। यह बैटरी स्तर रडार बीएलआर के रूप में लगभग 7 किलोमीटर तक के टारगेट की ट्रैकिंग कर सकता है। आज इसके परीक्षण के मौके पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा अंतरिम परीक्षण परिषद से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक मौके पर मौजूद थे।

1990 में आकाश मिसाइल का पहला परीक्षण उड़ान आयोजित की गई थी और मार्च 1997 तक इसकी विकास की उड़ानें चली। दिसंबर 2007 में भारतीय वायु सेना ने इस मिसाइल के लिए उपयोगकर्ता परीक्षण पूरा किए।पिछले दिनों आकाश मिसाइल की खरीद में दक्षिण एशिया के नौ देशों एवं अफ्रीकी मित्र देशों ने रुचि दिखाई। कुछ मित्र देशों ने आकाश मिसाइल के अतिरिक्त तटीय निगरानी प्रणाली, रडार तथा एयर प्लेटफॉर्म को भी खरीदने में अपना रुझान दिखाया है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित आकाश मिसाइल की तकनीक एवं विकास 96 प्रतिशत स्वदेशी है। भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भारत आकाश मिसाइल केवल उन्हीं देशों को बेचेगा जिनसे उसके बेहतर एवं मैत्रीपूर्ण संबंध हैं।


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