कोरोना मरीजों को दी जा सकेगी DRDO की 2डीजी दवा, डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन होगी जरूरी
देश के दो दर्जन से भी अधिक सरकारी और निजी अस्पतालों में अगस्त माह तक इसके तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण जारी रहेंगे। इस परीक्षण में 220 मरीजों को शामिल किया जाएगा। पिछले वर्ष पररिक्षण में 110 मरीजों को शामिल किया गया था।
नई दिल्ली, एएनआइ। कोरोना के इलाज के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से विकसित की गई दवा डिआक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG) डॉक्टरों की देखरेख में मरीजों को दी जा सकेगी। इसके लिए मरीजों के पास डॉक्टरों की प्रिस्क्रिप्शन होना अनिवार्य है। महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई में 2-डीजी निर्णायक साबित हो सकती है। इससे पहले केंद्र सरकार ने इसे कोरोना के इलाज में बेहद उपयोगी बताया था।
देश के दो दर्जन से भी अधिक सरकारी और निजी अस्पतालों में अगस्त माह तक इसके तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण जारी रहेंगे। इस परीक्षण में 220 मरीजों को शामिल किया जाएगा। दरअसल, 2-डीजी दवा का तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण जनवरी में शुरू हुआ था, जबकि दूसरे चरण का परीक्षण पिछले वर्ष जून से सितंबर के बीच हुआ था जिसमें 110 मरीजों को शामिल किया गया था।
कई विशेषज्ञों का कहना है कि इस दवा का इस्तेमाल कैंसर रोगियों के इलाज के लिए भी किया जाता है। बता दें कि भारत के औषधि महानियंत्रक ने पिछले वर्ष मई में ही डा. रेड्डीज लैब को 2-डीजी दवा के कोरोना मरीजों पर क्लीनिकल परीक्षण की मंजूरी प्रदान की थी।
डीसीजीआइ ने दवा के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। दवा 2-डीजी को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशाला, नाभिकीय औषधि तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान (इनमैस) ने डा रेड्डीज लैबोरेटरीज (डीआरएल), हैदराबाद के साथ मिलकर विकसित किया है। दवा 2-डीजी की पहली खेप को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को सौंपा गया था।