ड्रेनेज का दमः शहरों की जलनिकासी व्यवस्था की पड़ताल पर दैनिक जागरण के अभियान का राष्ट्रव्यापी आगाज
ड्रेनेज की समस्या और उसका समाधान बताएगा अभियान जरा सी बारिश में थमते हमारे शहरों की रफ्तार की नब्ज टटोलेगा ड्रेनेज का दम।
नई दिल्ली, जेएनएन। खबर चौंकाने वाली हैं। तस्वीरें हैरत में डालने वाली हैं। हाल ही में हुए देशव्यापी स्वच्छता सर्वेक्षण में चौथी बार शीर्ष पर रहने वाले मध्य प्रदेश के शहर इंदौर में बारिश ने आफत मचा दी। सड़कों पर नावें चलने लगीं। यह आलम था, उस शहर का, जिसकी साफ-सफाई की संस्कृति और सलीके की मिसाल दी जाती है। जलभराव की समस्या सिर्फ इंदौर तक सीमित नहीं है, कमोबेश यही हाल आपके शहर का भी है। थोड़ी ज्यादा बारिश हुई और जलभराव का दृश्य तैयार हो जाता है। जन सरोकार से जुड़ी यह आज की बड़ी समस्या बन चुकी है। पूरा शहर ठप हो जाता है, जनजीवन रुक जाता है। अनहोनी की आशंकाएं बढ़ जाती है।
शहरों में जलभराव की समस्या और उसके निदान की होगी पड़ताल
ऐसे में देश के सभी शहरों की जलनिकासी व्यवस्था की पड़ताल के लिए दैनिक जागरण एक राष्ट्रव्यापी अभियान का आगाज करने जा रहा है। सात दिन तक चलने वाले इस अभियान में शहरों में जलभराव की समस्या और उसके निदान की पड़ताल की जाएगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश का करीब 50 फीसद रकबा सीवर विहीन है। शहरों और कस्बों की जलनिकासी में इस सीवर का अहम योगदान होता है। 2011 की जनगणना के अनुसार देश के 46 शहर ऐसे हैं जिनकी आबादी 10 लाख से ऊपर है। पांच लाख से 10 लाख आबादी वाले शहरों की संख्या करीब 50 है।
जलभराव जैसी समस्या शहरों की उत्पादकता पर डालती हैं नकारात्मक प्रभाव
एक अनुमान के मुताबिक अगले दस साल में देश की 40 फीसद आबादी शहरों में रहने लगेगी। शहर राष्ट्र के विकास के इंजन हैं। आए दिन जलभराव जैसी समस्या उनकी उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं, जिनका प्रतिकूल असर देश के विकास और आम आदमी के कल्याण पर पड़ता है। ऐसे में हमारे शहरों की बड़ी समस्या बनकर उभर रहे जलभराव के आलोक में वहां की ड्रेनेज प्रणाली की पड़ताल बहुत जरूरी हो जाती है। जन सरोकार से जुड़े मसलों को अपने अभियानों से दैनिक जागरण लगातार उठाता आया है।
हाल हमारी जल निकासी प्रणाली का
इस बार एक सितंबर से 'ड्रेनेज का दम: हाल हमारी जल निकासी प्रणाली का अभियान से सात दिन हम देश के विभिन्न शहरों की जलनिकासी व्यवस्था की पड़ताल करेंगे। पहले दो दिन समाचारीय अभियान की प्रकृति राष्ट्रव्यापी होगी। फिर हर प्रदेश की समग्र पड़ताल की जाएगी। इसके बाद दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की जलनिकासी व्यवस्था का हाल जाना जाएगा। अंत में छोटे शहरों की तस्वीर पेश की जाएगी। विशेषज्ञों के सुझावों और मशविरों के तहत इस अभियान को एक परिणति तक पहुंचाया जाएगा।
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