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Covid 19 के लिए होगा डीआर टीबी की जांच करने वाली मशीन का उपयोग

कोरोना वायरस संक्रमण की जांच की क्षमता बढ़ाने की कोशिशों के तहत ICMR ने दवा-प्रतिरोधी (डी-आर) टीबी की जांच के लिए नैदानिक मशीन का इस्तेमाल करने की इजाजत दी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2020 10:01 PM (IST)Updated: Fri, 10 Apr 2020 10:01 PM (IST)
Covid 19 के लिए होगा डीआर टीबी की जांच करने वाली मशीन का उपयोग
Covid 19 के लिए होगा डीआर टीबी की जांच करने वाली मशीन का उपयोग

नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना वायरस संक्रमण की जांच की क्षमता बढ़ाने की कोशिशों के तहत भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने 'दवा-प्रतिरोधी (डी-आर) टीबी' की जांच के लिए इस्तेमाल की जाने वाली नैदानिक मशीन का इस्तेमाल करने की इजाजत दी है।

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आइसीएमआर ने दी मान्‍यता 

देश की शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान इकाई आइसीएमआर ने शुक्रवार को कहा कि 'ट्रूलैबटीएम वर्कस्टेशन पर ट्रूनैलटीएम बीटा सीओवी जांच' को मान्यता दी है और उसने इसकी स्क्रीनिंग टेस्ट के तौर पर सिफारिश की है। इस सिलसिले में एक दिशा-निर्देश जारी करते हुए आइसीएमआर ने कहा कि गले या नाक का स्वाब किट के साथ उपलब्ध वायरस लायसिस बफर से 'वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम' (वीटीएम) में एकत्र किया जाएगा।

इसमें कहा गया है, 'पहले के अध्ययनों में यह प्रदर्शित हुआ है कि वायरस लाइसिस बफर ने निपाह और एच1एन1 वायरस को नियंत्रित किया है। वायरस लाइसिस बफर के जरिये सार्स-सीओवी-2 को नियंत्रित करने के बाद वायरस आरएनए की स्थिरता के नतीजों का आइसीएमआर-एनआइवी, पुणे से इंतजार है।' 

जांच के लिए लैब्‍स को दिए गए निर्देश 

दिशा-निर्देश में कहा गया है, 'तब तक ट्रूनैट बीटा जांच सभी जैव सुरक्षा एहतियातों के साथ ही प्रयोगशालाओं में बीएसएल 2 और बीएसएल 3 इकाइयों में की जानी चाहिए।' केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पिछले 24 घंटों में 896 नए मामले सामने आए हैं। 37 मौतें भी हुई हैं।  भारत में कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 6761 हो गई है जिसमें 6039 सक्रिय मामले हैं और 516 ठीक होकर अस्‍पताल से डिस्चार्ज हो गए हैं। इसमें 206 लोगों की मौत हुई है।

प्‍लाज्‍मा थेरेपी से होगा कोरेाना मरीजों का इलाज 

उधर, देश में प्लाज्मा थरेपी से कोरोना के मरीजों के इलाज का रास्ता साफ हो गया है। केरल सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए आइसीएमआर ने इसकी अनुमति दे दी है। माना जा रहा है कि ड्रग कंट्रोलकर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) कभी भी इसे हरी झंडी दे सकता है। फिलहाल इस थरेपी का इस्तेमाल केवल गंभीर रूप से बीमार और वेंटिलेटर पर रखे गए मरीजों के लिए ही किया जाएगा। आइसीएमआर के वैज्ञानिक डाक्टर मनोज मुरहेकर के अनुसार दुनिया के कई देशों में कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थरेपी को कारगर पाया गया है। लेकिन भारत में अभी तक इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है। आइसीएमआर देश में प्लाज्मा थरेपी से कोरोना के इलाज के लिए विस्तृत गाइडलाइंस को अंतिम रूप देने में जुटा है।

 

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