असंभव नहीं है किसानों की आय दोगुनी करना: मित्तल
किसानों की आय को दोगुनी करने की राह खुल सकती है। किसानों को बड़े, मझोले व छोटे में बांटना होगा तभी सरकार की मदद पहुंच सकेगी।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। प्रश्न: बैंकों की एनपीए समस्या का कोई ठोस समाधान निकलता नहीं दिख रहा है, आपका चैंबर इस बारे में सरकार को क्या सुझाव देगा?
उत्तर: सबसे पहले तो मैं यह साफ करना चाहूंगा कि जो भी व्यक्ति, एजेंसी या कंपनी अगर जान बूझ कर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाती है तो उसके खिलाफ हम सख्त कार्रवाई करने के पक्ष में है। हमारा सुझाव है कि इस समस्या को दो वर्गो में बांटा जाए। पहले वर्ग में उन लोगों को रखा जाए जिनका मैंने अभी जिक्र किया यानी जान बूझ कर कर्ज नहीं चुकाने वालों को। दूसरे वर्ग में उन्हें रखना चाहिए जो आर्थिक गतिविधियों से या बाहरी कारण से कर्ज नहीं चुका पाये। इस श्रेणी में आने वाली कंपनियों के साथ हमारा अलग व्यवहार होना चाहिए कि ये कर्ज चुकाना चाहते हैं लेकिन बाहरी वजहों से मसलन, मांग घट जाने या कोई आर्थिक संकट पैदा होने की वजह से कर्ज नहीं चुका पा रहे हैं। इन्हें कर्ज चुकाने का मौका मिलना चाहिए या मदद मिलनी चाहिए ताकि ये अपने कारोबार को आगे बढ़ा सके। तभी यह कर्ज लौटा सकेंगे। सरकार की तरफ से इंसॉल्वेंसी बैंकिंग कोड लाया गया है जिसका हम स्वागत करते हैं। अब हमें देरी किये बगैर इसके तहत कुछ बड़ी परियोजनाओं में फंसे कर्जे को वसूलने की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए ताकि उद्योग में भरोसा लौटे।
प्रश्न: कुछ सवाल उद्योग जगत के रवैये पर भी उठ रहे हैं.मसलन, कई उद्योगपति बैंकों से पैसा ले कर बाहर चले गये हैं?
उत्तर: इसमें कोई शक नहीं है कि उद्योग जगत को ज्यादा उत्तरदायित्व से काम करने पड़ेगा। कारपोरेट गवर्नेस की गुणवत्ता को लेकर हमें ज्यादा सतर्क रहना पड़ेगा। उद्योगों के नैतिक आचरण को बेहतर बनाना होगा। एक जिम्मेदार उद्योग चैंबर होने की वजह से हम भी इस बारे में अपने सदस्यों और उद्योग से जुड़े सभी लोगों को कारपोरेट गवर्नेस पर शिक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। हमने फैसला किया है कि उद्योगों की तीन श्रेणियों के लिए हम अलग अलग आचरण कोड ले कर आएंगे जिसे हमारे सदस्यों को स्वीकार करना होगा। इसमें बड़े उद्योगों, मझोले व छोटे उद्योगों और वित्तीय क्षेत्र की एजेंसियों के लिए अलग अलग कोड होगा। यह एक तरह से फार्मूला होगा कि देश में उक्त श्रेणी की कंपनियां किस तरह से पारदर्शी और मर्यादित तरीके से अपना संचालन करे।
प्रश्न: अर्थव्यवस्था की जो तस्वीर अभी आपके सामने है उसके हिसाब से सरकार को आर्थिक विकास दर तेज करने के लिए आगे क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर: देखिए, अभी अर्थव्यवस्था एक तरह से उस मुकाम पर है जहां से इसकी रफ्तार तेजी से फर्राटा मार सकती है। ज्यादातर औद्योगिकी क्षेत्र में क्षमता का अधिकांश उपयोग होने लगा है यानी अब नए निवेश की जरुरत होगी। ऐसे में हमारा मानना है सरकार को सबसे पहले तो श्रम सुधार पर ठोस फैसले करने चाहिए। सरकार की तरफ से श्रम सुधार का नया कोड तैयार किया जा रहा है जिस पर सभी पक्षों की राय जानने के बात फैसला होगा। मेरा मानना है कि यह काम अब जल्द होनी चाहिए। यह भ्रम खत्म होना चाहिए श्रम सुधार से नौकरियां कम होंगी, असलियत में इससे नौकरियां बढ़ेंगी। लोगों को सीमित अवधि के लिए रोजगार देने का रास्ता जब खुलेगा जो बहुत सारे लोगों को संगठित क्षेत्र में नौकरी मिलेगी। दूसरा काम अभी यह होना चाहिए कि किसी भी तरह से सरकार को ब्याज दरों को निचले स्तर पर बनाये रखने की कोशिश करनी चाहिए। मैं आपको अपने चैंबर के सदस्यों के अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि बड़ी संख्या में कंपनियां नया निवेश करने को तैयार है। विस्तार करने और क्षमता बढ़ाने की तैयारियों में लोग जुटे हुए हैं। खासतौर पर मझोले व छोटे उद्योगों में विस्तार की अभी काफी गुंजाइश बन रही है। अगर इस समय ब्याज दरों के बढ़ने की सूरत बनेगी तो नए निवेश पर असर पड़ेगा। साथ ही हमें कृषि क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान देने की जरुरत है।
प्रश्न: सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है..क्या यह संभव है?
उत्तर: देखिए यह मुश्किल तो है लेकिन ऐसा नहीं है कि संभव नहीं है। हां, यह वैसे नहीं होगा जैसा कि अभी चल रहा है। हमारा इस बारे में सुझाव होगा कि किसानों की जमीन को आसानी से कारपोरेट सेक्टर को लीज पर देने की राह आसान करे। मैं इसे एक उदाहरण से आपको समझाने की कोशिश करता हूं। आज किसी किसान के पास दो एकड़ जमीन है तो शायद भारतीय पृष्ठभूमि में औसतन 80-90 हजार रुपये सालाना की कमाई करता है। मान लीजिए अगर उस किसान के परिवार में दो काम करने लायक युवा हैं। इस दो एकड़ जमीन को लीज पर उठा कर मेरा अनुमान है कि वह परिवार 80-90 हजार रुपये आमदनी कर सकता है। अब उस परिवार के दो व्यक्ति को न्यूनतम मजदूरी वाली नौकरी भी मिले तो वह साल 1.80-1.90 लाख रुपये की अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। इस तरह से किसानों की आय को दोगुनी करने की राह खुल सकती है।
याद रखिए जमीन किसान की ही रहेगी, वह एक निश्चित अवधि के बाद जब चाहे इसे खाली करवा सकता है या किसी दूसरे को दे सकता है। इस तरह का काम पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में कई जगह हुआ है और हमारा अध्ययन बताता है कि इससे किसानों की आय बढ़ी है। दूसरा, किसानों को उनकी मर्जी के मुताबिक जहां भी चाहे और जिससे भी चाहे उत्पाद बेचने की न सिर्फ आजादी मिलनी चाहिए बल्कि उसकी व्यवस्था भी होनी चाहिए। इसके बगैर किसानों की आय नहीं बढ़ेगी। बड़े पैमाने पर निजी क्षेत्र खेती में निवेश करेगा। यकीन जानिए निजी क्षेत्र भारत में भारी निवेश करना चाहता है लेकिन उसे उचित माहौल नहीं मिल रहा। हमें किसानों को भी बड़े, मझोले व छोटे किसानों में बांटना होगा तभी सरकार की मदद सही जगह पहुंच सकेगी।