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कश्मीरी आतंक की फंडिंग पर दोहरा वार, कोशिशों का दिखने लगा असर

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की अभी तक की तफ्तीश बताती है कि कश्मीर में अलगाववाद को भड़काने में जुटी शक्तियों को फंड मुहैया कराने में पाकिस्तान का हाथ सबसे बड़ा है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 26 Jul 2017 09:23 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jul 2017 09:23 AM (IST)
कश्मीरी आतंक की फंडिंग पर दोहरा वार, कोशिशों का दिखने लगा असर
कश्मीरी आतंक की फंडिंग पर दोहरा वार, कोशिशों का दिखने लगा असर

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। कश्मीरी अलगाववादियों को वित्तीय मदद पहुंचाने के लिए पाकिस्तान ने अभी तक जितने रास्ते बनाये थे, उनका काट निकलना शुरू हो चुका है। पिछले एक महीने के भीतर अमेरिका और कनाडा की तरफ से कश्मीर में आतंकियों को फंड देने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई और अब सोमवार को घाटी में सात अलगाववादियों की गिरफ्तारी भारतीय जांच एजेंसियों व सरकार के स्तर पर किये जा रहे कूटनीतिक प्रयासों का नतीजा है। लेकिन सरकारी सूत्रों के मुताबिक, कश्मीर के अतिवादियों के तमाम वित्तीय स्रोतों पर ताला लगाने की कोशिश अभी और तेज होने वाली है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुहिम भी तेज होगी।

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विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कश्मीर के अलगाववादियों को सबसे ज्यादा फंड अमेरिका व कनाडा के जरिए मिल रहा था। फंड वसूलने और उन्हें तमाम रास्तों से कश्मीर पहुंचाने का काम पाकिस्तान के संगठन कर रहे थे। जून, 2017 में हिज्बुल मुजाहिद्दीन के कमांडर सैयद सलाहुद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के बाद वहां से अब यह मुश्किल हो गया है। अब कनाडा ने भी कश्मीर में अलगाववाद के नाम पर फंड जुटाने वाली एक एजेंसी की वित्तीय गतिविधियों पर रोक लगा दी है। अब इन दोनो देशों से किसी भी बहाने फंड जुटाना और फिर उसे कश्मीरी आतंकियों तक पहुंचाने की राह काफी मुश्किल हो गई है। बहरहाल, भारत के लिए अच्छी बात यह है कि इसके आधार पर यूरोपीय संघ और ब्रिटेन में कश्मीरी अलगाववादियों के खिलाफ केस तैयार करने में मदद मिलेगा। कूटनीतिक स्तर पर इसकी कोशिश शुरू भी हो चुकी है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की अभी तक की तफ्तीश बताती है कि कश्मीर में अलगाववाद को भड़काने में जुटी शक्तियों को फंड मुहैया कराने में पाकिस्तान का हाथ सबसे बड़ा है। सुरक्षा एजेंसियों से मिली सूचना के आधार पर दैनिक जागरण ने हाल ही में एक खबर प्रकाशित की थी कि हिज्बुल, जैश और जमात जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तान के भीतर किस तरह से पैसा जुटाने की मुहिम चला रहे हैं। इसके अलावा दूसरे देशों में रहने वाले पाकिस्तानी भी इस ढांचे में अहम भूमिका निभा रहे हैं। पाकिस्तान में दानार्थ व धमार्थ काम करने के नाम पर दूसरे देशों से फंड जुटाया जाता है। इसके लिए ये संगठन दूसरे देशों में रहने वाले पाकिस्तानियों या कुछ अन्य देशों के मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच प्रोपगेंडा करते हैं। इस पैसे को पहले पाकिस्तान भेजा जाता है और उसके बाद हवाला रैकेट के जरिए कश्मीरी अलगाववादियों को फंड दिया जाता है। इस तरह के मनी ट्रेल के आधार पर ही एनआइए ने सोमवार को सात अलगाववादियों को गिरफ्तार किया है।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के सरकारी एजेंसियों की भूमिका भी इसमें होती है। भारत की तरफ से बार-बार आग्रह करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव के बावजूद पाकिस्तान ने आतंकियों को फंडिंग रोकने के लिए अभी तक अपने बैंकिंग नियमों को पुख्ता नहीं बनाया है। आतंकी फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए बने अंतरराष्ट्रीय संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की रिपोर्ट ने हाल ही में पाकिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित आतंकी संगठनों व व्यक्तियों के वित्तीय लेन-देन पर रोक नहीं लगाने का दोषी पाया है। भारत ने एफएटीएफ में पाकिस्तान में आतंकियों को मिल रही फंडिंग का मुद्दा उठाया था। पाकिस्तान जान बूझ कर कड़े कदम नहीं उठा रहा है।

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