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भ्रष्ट बाबुओं के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी देगा डीओपीटी

भ्रष्ट बाबुओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने में केंद्र सरकार के किसी विभाग या केंद्रीय निगरानी आयोग (सीवीसी) में मतभिन्नता होने पर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के प

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 16 May 2019 08:22 PM (IST)Updated: Thu, 16 May 2019 08:22 PM (IST)
भ्रष्ट बाबुओं के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी देगा डीओपीटी
भ्रष्ट बाबुओं के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी देगा डीओपीटी

नई दिल्ली, प्रेट्र। भ्रष्ट बाबुओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने में केंद्र सरकार के किसी विभाग या केंद्रीय निगरानी आयोग (सीवीसी) में मतभिन्नता होने पर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के पास ही अंतिम अधिकार होगा। एक सरकारी आदेश में यह कहा गया है। पिछले वर्ष भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम 1988 में बदलाव के बाद यह आदेश जारी किया गया है। गुरुवार को अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

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संशोधित अधिनियम ने केंद्र सरकार से ऐसा दिशानिर्देश जारी करने को कहा क्योंकि इसमें सरकारी नौकर के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी देने की आवश्यकता पर विचार किया गया है। इसके बाद डीओपीटी ने दिशानिर्देश जारी किया। खास तौर से अभियोजन की मंजूरी देने में अनुशासनिक अधिकारी और सीवीसी के बीच असहमति होने की स्थिति में डीओपीटी प्रभावी रहेगा।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) केवल उन्हें मामलों में किसी के खिलाफ अभियोजन की सिफारिश करती है जिसमें उसे जांच के दौरान पर्याप्त आधार मिलता है। दिशानिर्देश के अनुसार, जिन मामलों में सीवीसी अभियोजन की मंजूरी देने का परामर्श देता है लेकिन मंत्रालय/संबंधित विभाग उसे नहीं मानता है तब उस स्थिति में मामला डीओपीटी के पास भेजा जाना चाहिए। डीओपीटी की अगुआई प्रधानमंत्री करते हैं।

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