लीक नहीं, चोरी हुए थे स्कॉर्पीन पनडुब्बी के दस्तावेज
नौसेना प्रमुख सुनील लांबा और अन्य शीर्ष अधिकारी लगातार रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर को ताजा सूचनाओं से अवगत करा रहे हैं।
पेरिस, रायटर/ प्रेट्र । भारतीय पनडुब्बी से जुड़े दस्तावेज लीक नहीं हुए हैं, बल्कि उन्हें निर्माता कंपनी डीसीएनएस के यहां से चुराया गया था। फ्रांसीसी सरकार के सूत्रों ने गुरुवार को यह दावा किया। उन्होंने बताया कि अब तक प्रकाशित सूचनाएं सिर्फ पनडुब्बी के संचालन से ही जुड़ी हुई हैं। उधर, लीक की खबर आने के बाद से दिल्ली स्थित रक्षा मंत्रालय में बैठकों का दौर जारी है। नौसेना प्रमुख सुनील लांबा और अन्य शीर्ष अधिकारी लगातार रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर को ताजा सूचनाओं से अवगत करा रहे हैं। भारतीय नौसेना भी सुरक्षा को होने वाले किसी भी संभावित खतरे को कम करने लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है।
एक आस्ट्रेलियाई अखबार 'द आस्ट्रेलियन' ने बुधवार को भारत में बन रहीं स्कॉर्पीन पनडुब्बियों से जुड़े दस्तावेज प्रकाशित किए थे। इसके बाद भारत और फ्रांस दोनों ने इस मामले की जांच शुरू कर दी। फ्रांसीसी सूत्रों ने साफ तौर पर कहा, 'यह लीक नहीं, बल्कि चोरी है। हमें डीसीएनएस की ओर से कोई असावधानी नहीं मिली है, लेकिन एक व्यक्ति की बेईमानी की पहचान की है।' लगता है कि यह दस्तावेज पूर्व फ्रांसीसी कर्मचारी ने 2011 में चुराए थे। यह कर्मचारी जब भारत में पनडुब्बी के प्रयोग से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान कर रहा था, तभी उसे कंपनी से निकाल दिया गया था। ये गोपनीय दस्तावेज नहीं थे।
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उधर, भारतीय नौसेना ने यह मामला फ्रांस के आयुध महानिदेशालय के समक्ष उठाया है। नौसेना ने फ्रांस सरकार से तत्काल इस घटना की जांच कराने और उसके निष्कर्षों से भारतीय पक्ष को अवगत कराने का आग्रह किया है। सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता न हो, इसके लिए प्रक्रियाओं का आंतरिक ऑडिट भी कराया जा रहा है। इन रिपोर्ट्स की सत्यता जांचने के लिए कूटनीतिक माध्यमों के जरिये संबंधित सरकारों के साथ इस मामले को उठाया गया है।
नौसेना ने एक बयान में बताया कि आस्ट्रेलियाई समाचार एजेंसी की वेबसाइट पर जारी दस्तावेजों की जांच की गई है और उनसे सुरक्षा के लिए किसी प्रकार का खतरा नहीं है, क्योंकि महत्वपूर्ण मानदंडों को ब्लैकआउट किया जा चुका है। दिलचस्प बात यह है कि 'द आस्ट्रेलियन' के अधिकार में 22,400 पन्नों का दस्तावेज है और उसने उनमें से सिर्फ कुछ को ही सार्वजनिक किया है। भारतीय सुरक्षा हितों का हवाला देते हुए उसने खुद ही महत्वपूर्ण जानकारियों को ब्लैकआउट कर दिया था। बताते हैं कि समाचार पत्र की वेबसाइट पर जारी कुछ दस्तावेजों पर भारतीय नौैसेना के चिह्न भी अंकित हैं।
इस बीच, रक्षा मंत्रालय ने एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति इन सूचनाओं के सार्वजनिक होने से पड़ने वाले संभावित प्रभावों का विस्तृत आकलन कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में अंतिम रिपोर्ट अगले महीने के मध्य तक रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर को सौंपी जा सकती है। रक्षा मंत्रालय का मानना है कि जरूरत पड़ने पर लीक से जुड़े तथ्यों की जांच के लिए भारतीय दल को भी विदेश भेजा जा सकता है।
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