पाकिस्तान को दिए दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए जा सकते
मकोका कोर्ट ने एहतशाम सहित चार अन्य को ट्रेन बम धमाके मामले में मृत्युदंड की सजा सुनाई है।
नई दिल्ली, प्रेट्र : साल 2010 में भारत द्वारा पाकिस्तान को सौंपे गए दस्तावेज के ब्योरे को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इससे दोनों देशों के बीच संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआइसी) ने 2006 में मुंबई ट्रेन बम धमाके मामले के दोषी एहतशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी की याचिका खारिज करते हुए उसे कड़ी फटकार लगाई। विशेष मकोका कोर्ट इस मामले में एहतशाम को पहले ही मृत्युदंड की सजा सुना चुकी है।
एहतशाम ने 17 अक्टूबर, 2015 को विदेश मंत्रालय के समक्ष एक आरटीआइ अर्जी दाखिल की थी। अर्जी में उसने भारत की तत्कालीन विशेष सचिव निरुपमा राव द्वारा अपने पाकिस्तानी समकक्ष सलमान बशीर को सौंपे गए सभी दस्तावेज की प्रति देने की मांग की थी। फरवरी 2010 में विदेश सचिव स्तर की हुई वार्ता के दौरान भारत ने पाकिस्तान को तीन डोजियर सौंपे थे।
मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर ने कहा, 'रिकॉर्ड के अवलोकन से, सीपीआइओ के जवाब से पता चलता है कि मांगी गई जानकारी भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।' उन्होंने कहा, 'विदेश मंत्रालय ने आरटीआइ अधिनियम की धारा 8(1)(ए) के आधार पर सूचना देने से इन्कार कर सही किया है।'
मकोका कोर्ट ने एहतशाम सहित चार अन्य कमाल अहमद अंसारी, मुहम्मद फैसल शेख, नावीद हुसैन खान और आसिफ खान को ट्रेन बम धमाके मामले में मृत्युदंड की सजा सुनाई है। खार-रोड, सांताक्रूज, बांद्रा-खार रोड, जोगेश्वरी-माहिम जंक्शन, मीरा रोड-भायंदर, माटुंगा-माहिम जंक्शन और बोरीवली स्टेशनों के बीच लोकल ट्रेनों में दस मिनट के अंतराल में हुए इन धमाकों में 188 लोग मारे गए थे।