Move to Jagran APP

डाक्टरों को दी जाएगी मरीजों के साथ सही तरीके से पेश आने की शिक्षा

मेडिकल शिक्षा में पिछले 20 सालों में आए बदलाव और नई टेक्नोलॉजी को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 07:47 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 07:47 PM (IST)
डाक्टरों को दी जाएगी मरीजों के साथ सही तरीके से पेश आने की शिक्षा
डाक्टरों को दी जाएगी मरीजों के साथ सही तरीके से पेश आने की शिक्षा

नीलू रंजन, नई दिल्ली। शायद भविष्य में मरीजों को डाक्टरों के दु‌र्व्यवहार का सामना नहीं करना पड़े। अब डाक्टरों को एमबीएसएस में ही मरीजों के साथ सही व्यवहार करने के नुस्खे सिखाए जाएंगे। ये नुस्खे बाकायदा एमबीबीएस के पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा और सभी डाक्टरों को इसे पढ़ना और सीखना अनिवार्य होगा। एमबीबीएस के नए पाठ्यक्रम में अगले शैक्षिक सत्र से ही इसे पढ़ाया जाना शुरू हो जाएगा।

loksabha election banner

दरअसल 21 सालों के बाद पहली बार एमबीबीएस का पाठ्यक्रम बदलने जा रहा है। इसे डाक्टरों और मरीजों के लिए ज्यादा से ज्यादा उपयोगी बनाने की कोशिश की गई है। इसी क्रम में पाठ्यक्रम में डाक्टरों और मरीजों के रिश्ते को भी शामिल किया गया है। अस्पतालों में डाक्टरों और मरीजों व उनके परिवार वालों के बीच झगड़े की बात अक्सर सामने आती रहती है। इसके कारण कई बार सुरक्षा की मांग को लेकर डाक्टर सामूहिक अवकाश भी चले जाते हैं। इसके पीछे असली कारण यह माना जा रहा है कि डाक्टरों को बीमारी के इलाज के बारे में तो पढ़ाया जाता है, लेकिन इलाज कराने आए मरीजों के साथ व्यवहार की शिक्षा नहीं दी जाती है।

नए पाठ्यक्रम में उन्हें इलाज के दौरान फैसले लेने क्षमता, नैतिक मूल्यों के साथ-साथ बातचीत के तरीके भी सिखाए जाएंगे। उम्मीद की जा रही है कि एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में इस शिक्षा को हासिल करने वाले डाक्टर मरीजों के साथ बेहतर तरीके से पेश आएंगे।

दरअसल नये पाठ्यक्रम को 62 डाक्टरों की टीम ने मिलकर तैयार किया है और इसमें एमबीबीएस डाक्टरों के लिए जरूरी सभी विषय को शामिल करने का प्रयास किया गया है। नये पाठ्यक्रम को हरी झंडी मिल चुकी है और इसे आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू कर दिया जाएगा। नए पाठ्यक्रम में एमबीबीएस छात्रों को हर स्पेशयिलटी की थोड़ी-थोड़ी पढ़ाई कराई जाएगी ताकि एमबीबीएस डॉक्टर का महत्व बढ़े और बिना पोस्ट ग्रैज्युएशन (पीजी) किये भी शुरुआती दौर में हर बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज कर सकें। इसके लिए पीजी के पाठ्यक्रम से कुछ हिस्सों को जोड़ा गया है।

एमबीबीएस के पहले ही साल से छात्रों को थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल भी कराई जाएगी। साथ ही पहले साल में क्लीनिकल काम भी कराया जाएगा ताकि पांच वर्ष की पढ़ाई पूरी करने के बाद एमबीबीएस एक डॉक्टर के रूप में पूरी तरह से तैयार हो सके। मेडिकल शिक्षा में पिछले 20 सालों में आए बदलाव और नई टेक्नोलॉजी को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। साथ ही सरकार की ओर से चलाये जा रहे स्वास्थ्य कार्यक्त्रम को भी शामिल किया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.