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गंभीर रोगों से ग्रस्त और गर्भवती महिलाएं न करें उपवास, कोरोना के खतरे को देख विशेषज्ञों ने दी हिदायत

कोरोना महामारी के बीच नवरात्रि शुरू हो गई है। मां दुर्गा की उपासना में बड़ी संख्या में लोग उपवास भी रख रहे हैं लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि महामारी को देखते हुए उपवास रखना खतरनाक हो सकता है खासतौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 06:02 AM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 06:02 AM (IST)
गंभीर रोगों से ग्रस्त और गर्भवती महिलाएं न करें उपवास, कोरोना के खतरे को देख विशेषज्ञों ने दी हिदायत
डॉक्टरों का कहना है कि महामारी को देखते हुए उपवास रखना खतरनाक हो सकता है

नई दिल्ली, आइएएनएस। कोरोना महामारी के बीच नवरात्रि शुरू हो गई है। मां दुर्गा की उपासना में बड़ी संख्या में लोग उपवास भी रख रहे हैं। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि महामारी को देखते हुए उपवास रखना खतरनाक हो सकता है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। खासकर पहले से ही गंभीर रोगों से ग्रस्त लोगों और गर्भवती महिलाओं को तो डॉक्टर उपवास से बचने की सलाह दे रहे हैं।

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डॉक्टरों की मानें तो अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों से जुड़े लोगों और हाल फिलहाल कोरोना संक्रमण से उबरने वाले मरीजों के लिए उपवास ठीक नहीं रहेगा। इसी तरह गर्भवती (pregnant women) और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए नवरात्रि या करवा चौथ का व्रत नहीं रखना चाहिए।

नई दिल्ली स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (Indian Spinal Injuries Centre) में इंटनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट कर्नल विजय दत्ता का कहना है कि बुजुर्ग, शुगर के रोगी, उच्च रक्तचाप या अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित व्यक्ति और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इस महामारी के दौरान किसी भी तरह का उपवास नहीं रखना चाहिए।

शरीर को सबसे ज्यादा ऊर्जा ग्लूकोज से मिलती है। उपवास के दौरान शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है और इसकी वजह से शरीर की जन्मजात सुरक्षा तंत्र पर असर पड़ता है और प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने वाले सेल्स भी कमजोर पड़ जाते हैं, जो ग्लूकोज पर ही निर्भर होते हैं।

इस बीच एमबॉयो पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, संक्रमित मरीजों में इस घातक वायरस के सफाए और लक्षण समाप्त होने के बाद रक्त में एंटीबॉडी के स्तर में तेज गिरावट होती है। कोरोना से उबरने के दौरान कई हफ्तों तक एंटीबॉडी का स्तर कम होता रहता है। अध्‍ययन में पाया गया है कि पहले कुछ हफ्तों के दौरान प्लाज्मा में वायरस को बेअसर करने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है। 


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