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डॉक्टरों ने की तंबाकू चेतावनी बढ़ाने की अपील

तंबाकू उत्पादों के बढ़ते खतरे और तंबाकू कंपनियों की लॉबी के बढ़ते असर को देखते हुए अब देश भर के डॉक्टर भी इसके खिलाफ खड़े हो गए हैं।

By Manish NegiEdited By: Published: Sat, 26 Mar 2016 07:21 PM (IST)Updated: Sat, 26 Mar 2016 07:32 PM (IST)
डॉक्टरों ने की तंबाकू चेतावनी बढ़ाने की अपील

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तंबाकू उत्पादों के बढ़ते खतरे और तंबाकू कंपनियों की लॉबी के बढ़ते असर को देखते हुए अब देश भर के डॉक्टर भी इसके खिलाफ खड़े हो गए हैं।

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डॉक्टरों के संगठनों और वरिष्ठ स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने ऐतिहासिक एकजुटता दिखाते हुए इस पर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दखल देने की मांग की है। 'डॉक्टर्स फॉर टोबैको कंट्रोल इन इंडिया' के इस बैनर के तहत देश के अधिकांश प्रमुख संगठन शामिल हैं। इसके अलावा 653 वरिष्ठ डॉक्टरों ने व्यक्तिगत तौर पर भी इस पत्र पर दस्तखत किए हैं।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि समय आ गया है जब सरकार इन उत्पादों के खिलाफ अत्यधिक असहिष्णुता दिखाए। इन्होंने एक अप्रैल से सभी तंबाकू उत्पादों के पैकेट पर 85 फीसद हिस्से में सचित्र चेतावनी छापने का नियम लागू करने की अपील भी की है। इन्होंने कहा है कि तंबाकू नियंत्रण के पुख्ता उपायों से हालांकि उनके रोजगार पर गहरा असर पड़ेगा, लेकिन राष्ट्रहित को देखते हुए वे चाहते हैं कि यह कदम उठाने में देरी नहीं की जाए। ताकि लाखों महिलाएं समय से पहले विधवा होने से और बच्चे अनाथ होने से बचाए जा सकें।

'इंडियन मेडिकल एसोसिएशन' की राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण समिति के अध्यक्ष डॉ. दिलीप आचार्य कहते हैं कि खास तौर पर युवाओं को यह लत शुरू करने से बचाने के लिहाज से तंबाकू उत्पादों के पैकेट पर बड़ी सचित्र चेतावनी बेहद कारगर है। इसी तरह 'इंडियन डेंटल एसोसिएशन' के सचिव डॉ. अशोक धोबले कहते हैं कि इसके असर को देखते हुए ही पूरी तंबाकू लॉबी इस नियम को रुकवाने में जुटी हुई है। बड़ी सचित्र चेतावनी के लिए सरकार से अपील करने वालों में 'इंडियन एकेडमी ऑफ पेडिएट्रिक्स', 'कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया', 'एसोसिएशन ऑफ फिजीशियंस ऑफ इंडिया', 'पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया' और 'कॉमनवेल्थ मेडिकल एसोसिएशन ट्रस्ट' जैसे संगठन भी शामिल हैं।

गौरतलब है कि लोकसभा की सबोर्डिनेट लेजिस्लेशन समिति ने पिछले दिनों अपनी रिपोर्ट में इतनी बड़ी चेतावनी लागू नहीं करने को कहा है। जबकि सरकार एक अप्रैल से यह नियम लागू करने के लिए दो साल पहले ही अधिसूचना लागू कर चुकी है।

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