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डॉक्टरों के राष्ट्रव्यापी विरोध का असर, जानिए-10 बड़ी बातें

आईएमए ने फैसला किया है कि शुक्रवार को शुरू विरोध प्रदर्शन शनिवार और रविवार को भी जारी रहेगा।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 14 Jun 2019 09:50 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 09:50 PM (IST)
डॉक्टरों के राष्ट्रव्यापी विरोध का असर, जानिए-10 बड़ी बातें
डॉक्टरों के राष्ट्रव्यापी विरोध का असर, जानिए-10 बड़ी बातें

नई दिल्ली, एजेंसी। पश्चिम बंगाल में सुरक्षा की मांग को लेकर डॉक्टरों के आंदोलन ने अब राष्ट्रव्यापी रूप ले लिया है। देश में डॉक्टरों की शीषर्षस्थ संस्था इंडियन मेडिकल एसोशिएशन (आईएमए) ने आंदोलन के समर्थन शुक्रवार से तीन दिवसीय विरोध शुरू किया और सोमवार (17 जून) को पूरे देश में डॉक्टरों की ह़़डताल का आह्वान किया है।

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हालांकि, आपात और अपघात सेवाएं जारी रहेंगी। अस्पतालों में मरीजों के परिजनों द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों पर बढ़ते हमले के मद्देनजर आईएमए ने ऐसी हिंसा को रोकने के लिए केंद्रीय कानून की मांग दोहराई है। कहा है कि ऐसे मामले में अपराधियों को कम से कम सात साल की सजा होनी चाहिए।

आईएमए ने फैसला किया है कि शुक्रवार को शुरू विरोध प्रदर्शन शनिवार और रविवार को भी जारी रहेगा। इस दौरान डॉक्टर काली पट्टी लगाएंगे। इसके साथ ही धरना देंगे तथा शांति मार्च भी निकालेंगे।

सोमवार को ह़़डताल के दौरान सुबह 6 बजे से अगले 24 घंटों तक डॉक्टर सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में गैर-जरूरी सेवाओं से अलग रहेंगे। इस कारण ओपीडी बंद रहेंगे।

आंदोलन का असर

  • पश्चिम बंगाल के चार मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे।
  • एम्स के डॉक्टरों के एसोसिएशन भी बंगाल के ह़़डताली डॉक्टरों के समर्थन में उतर आए हैं।
  • केरल, हैदराबाद के कई सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया।
  • महाराष्ट्र में 26 सरकारी अस्पतालों के करीब 4,500 रेजिडेंट डॉक्टर सुबह 8 से शाम पांच बजे तक नियमित ड्यूटी से अलग रहे। मरीजों को नहीं देखा।
  • राष्ट्रीय राजधानी में भी कई सरकारी अस्पतालों के सीनियर और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने शुक्रवार को काम का बहिष्कार किया। इस कारण ओपीडी और नियमित ऑपरेशन बंद रहे।
  • वकील आलोक श्रीवास्तव ने देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में दायर की पीआईएल। हर सरकारी अस्पताल में सुरक्षाकर्मी की तैनाती और कड़े गाइडलाइन बनाने की मांग।
  • ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के सदस्यों ने विरोध के रूप में हेलमेट पहनकर काम कर रहे हैं।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने देश में डॉक्टरों द्वारा की जा रही हड़ताल पर कहा कि मैं देशभर के डॉक्टरों से कहना चाहता हूं कि सरकार उन सभी की सुरक्षा के लिए बाध्य है। उन्होंने आगे कहा कि मैं डॉक्टरों से अनुरोध करुंगा कि वह प्रतीकात्मक विरोध ही करे और अपना काम जारी रखें।
  • जयपुर स्थित जयपुरिया अस्पताल के डॉक्टर मरीजों का इलाज तो कर रहे है। लेकिन, वह काली पट्टी बांधकर विरोध जता रहे हैं। वहीं, केरल में भी भारतीय चिकित्सा संघ त्रिवेंद्रम के सदस्यों ने पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा का विरोध किया।
  • रायपुर के डॉ भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा पर विरोध जताते हुए 'वी वांट जस्टिस' के नारे लगाए।

जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, कोलकाताल के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में इउलाज के दौरान एक 75 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई थी। बुजुर्ग के परिवार वालों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया और डॉक्टरों की पिटाई कर दी। आरोप है की करीब 200 लोग ट्रको में भरकर आए और अस्पताल पर हमला कर दिया। इस हमले में दो जूनियर डॉक्टर बुरी तरह से घायल हो गए।

एनआरएस के प्रधानाचार्य और उपप्रधानाचार्य ने दिया इस्तीफा
इस घटना के बाद से निजी अस्पतालों में भी स्वास्थ्य सेवाएं बंद रहीं। वहीं भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने घटना के खिलाफ और हड़ताली डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए शुक्रवार को अखिल भारतीय विरोध दिवस घोषित कर दिया है। साथ ही एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रधानाचार्य साइबल मुखर्जी और चिकित्सा अधीक्षक और उपप्रधानाचार्य प्रो. सौरभ चटोपाध्याय ने संस्थान के संकट से निपटने में विफल रहने की वजह से इस्तीफा दे दिया है।

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