रोते-बिलखते परिजन ने अपने अजन्मे शिशु को एम्स में किया दान, जानिए क्या है वजह
रोते-बिलखते परिजन ने नन्हें (अजन्मे शिशु) की देह एम्स भोपाल को दान कर दी।
भोपाल (नईदुनिया)। उसे दुनिया में आने में महज 28 दिन बाकी थे। अपने पहले बच्चे की किलकारी सुनने के लिए डॉक्टर दंपती भी काफी खुश थे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। मां के गर्भ में ही गुरुवार को 8वें महीने में उसकी सांसें थम गईं। घटना सुनते ही मां-बाप सदमे में तो आ गए, पर उन्होंने ऐसा काम कर दिया, जिससे बच्चा दुनिया में आए बिना ही अमर हो गया। रोते-बिलखते परिजन ने नन्हें (अजन्मे शिशु) की देह एम्स भोपाल को दान कर दी।
अयोध्या बायपास में रहने वाले डॉ. प्रशांत त्रिपाठी व उनकी पत्नी डॉ. पूजा त्रिपाठी दंत चिकित्सक हैं। पूजा को आठ महीने का गर्भ था। गुरुवार सुबह डॉक्टर ने बताया बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई है। इसके बाद दोपहर साढ़े तीन बजे गर्भपात कराया गया। इसी दौरान परिवार ने शिशु की बॉडी एम्स भोपाल को दान करने का फैसला लिया। अंगदान के लिए काम करने वाली संस्था किरण फाउंडेशन के सचिव डॉ. राकेश भार्गव ने कहा कि यह संभवत: देश में सबसे कम उम्र का देहदान होगा। हमीदिया अस्पताल की एनाटमी विभाग की प्रमुख डॉ. वंदना शर्मा ने बताया कि उनकी जानकारी में अजन्में शिशु के देहदान का यह पहला मामला है।
पीजी और सुपरस्पेशलिटी की पढ़ाई में काम आएगी बॉडी
एम्स के एनाटमी विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि इतनी कम उम्र की बॉडी नहीं मिलती। इसे पीजी या या सुपर स्पेशलिटी कोर्स में छात्रों को शरीर रचना समझाने में उपयोग किया जाएगा। डॉक्टरों ने कहा कि गर्भ में शिशु किस तरह से विकसित होता है यह सीखने के लिए इसका उपयोग किया जाएगा।