गोलियों से नहीं घबराया महेंद्र, आसाराम के खिलाफ दी गवाही, उम्रकैद की सजा पर्याप्त नहीं
यौन शोषणमामले में कथावाचक आसाराम के खिलाफ बुधवार को जोधपुर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई।
विजय गाहल्याण, पानीपत। यौन शोषणमामले में कथावाचक आसाराम के खिलाफ बुधवार को जोधपुर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। इस केस में मुख्य गवाह सनौली खुर्द निवासी महेंद्र चावला पर पुलिस के पहरे में गोलियां बरसाई गईं थीं। परिवार को दबंगों ने भी धमकाया, ताकि गवाह डर के मारे कोर्ट में गवाही न दे। चावला ने इसकी परवाह न करते हुए आसाराम के खिलाफ जोधपुर कोर्ट में गवाही दी थी। चावला का कहना है कि वह खौफ के साये में जी रहा था। अजनबी लोग उसकी हर गतिविधि पर नजर रख रहे थे।
-आसाराम के खिलाफ यौन शोषण के मामले में मुख्य गवाह व उसके परिवार को मिली थी धमकी
महेंद्र चावला के मुताबिक वह दसवीं कक्षा तक स्कूल में अव्वल रहा। घर व पढ़ाई छोड़कर 1996 में आसाराम से प्रभावित होकर उनका शिष्य बन गया। शादी भी नहीं की। उसकी अंधभक्ति तब भंग हो गई जब उसने आसाराम व उसके बेटे नारायाण साईं को अनैतिक कार्य करते देखा, जिससे उसका विश्वास टूट गया। उसने 2015 में आसाराम का साथ छोड़ कर पिता-पुत्र को सजा दिलाने की ठानी। वह यौन शोषण मामले में नारायण साईं के खिलाफ सूरत कोर्ट में गवाही दे चुका है। आसाराम के खिलाफ दूसरे यौन शोषण मामले में अहमदाबाद कोर्ट में गवाही होनी है।
महेंद्र चावला का कहना है कि आसाराम के खिलाफ गवाही न देने के लिए उसे करोड़ों रुपये का लालच दिया गया था। वह नहीं माना तो उसे व उसके परिजनों को मारने की धमकी दी गई। 13 मई 2015 को पुलिस की सुरक्षा में उस पर दो शूटरों ने गोलियां चलाईं। उसकी जान बच गई और उसने कोर्ट में गवाही दी।
जीत आखिर संघर्ष, सत्य और समर्पण की हुई
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। देश-दुनिया में फैला विशाल साम्राज्य। लाखों करोड़ों भक्त। एक से बढ़कर एक वकीलों की फौज। ताबड़तोड़ तीन हत्याएं, दो गंभीर घायल और एक लापता। चप्पे-चप्पे पर फैले खून के प्यासे खतरनाक गुर्गे..। कोई भी होता, कदम डगमगा जाते लेकिन, क्रांतिधरा पर जन्मी बहादुर बेटी डरी नहीं, डटी रही, अकेले ही, इंसाफ मिलने तक..। हां, वक्त जरूर लग गया। करीब चार साल आठ माह छह दिन लेकिन, जीत आखिर संघर्ष, सत्य और समर्पण की हुई। आसाराम की घिनौनी करतूत को बिटिया ने अंजाम तक पहुंचाया। साथ ही बुधवार को हमेशा-हमेशा के लिए ढहा दिया उसके 'पाप' का पूरा साम्राज्य..।
वास्तव में, देश दुनिया के लिए नजीर बनी इस बहादुर बेटी को सलाम..। बेहद लंबी चली लड़ाई का वक्त अगस्त 2013 से अप्रैल 2018 तक रहा। न्याय के लिए जंग में इस दौरान बहादुर बेटी के लिए पूरा देश खड़ा दिखा। आसाराम के कुछ अंध भक्त को छोड़कर। माता-पिता तो जान की परवाह किए बिना बेटी की ढाल बने रहे। नरायण साईं का चक्रव्यूह तोड़ा न्याय के लिए संघर्ष यात्रा बेहद कठिन थी। एक पल ऐसा भी आया, जब पीडि़ता के माता-पिता का हौसला जवाब दे गया। वे आसाराम की ताकत के आगे टूटने लगे।
वजह, दस दिन तक शाहजहांपुर के इर्द गिर्द रहे आसाराम के बेटे नरायण साई ने पीडि़ता और परिवार के लिए बड़े चक्रव्यूह की रचना कर दी। बड़ा प्रलोभन देने के साथ ही परिवार के खात्मे की भी साजिश रची। जब यह बात पीडि़ता के पिता को लगी तो बच्चों की चिंता में शहर छोड़ने का मन बना लिया लेकिन.., मीडिया के सपोर्ट और न्याय पालिका ने हिम्मत दी। बेटी भी कंधे से कंधा मिलाकर आ खड़ी हुई। उसके बाद साई का पूरा चक्रव्यूह भी ध्वस्त कर दिया। अकेले लड़ लूंगी, राक्षस को छोडूंगी नहीं पीडि़ता से उसके पिता ने जब यह कहा..बेटी यदि मुझे आसाराम के गुर्गों ने मार दिया तो तेरी लड़ाई कौन लड़ेगा। भाई भी छोटे हैं। मां बेचारी क्या करेंगी, तब बहादुर बेटी ने कहा था-नहीं पिताजी ऐसा कुछ नहीं होगा। राक्षस को सजा ऊपर वाला देगा। दोबारा पिता के सवाल दोहराने पर अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक की माटी की जन्मी बेटी बोली- आपको कुछ हो भी गया तो मैं अकेले ही लड़ाई लड़ लूंगी, लेकिन राक्षस आसाराम को छोड़ूंगी नहीं..।
बयान के लिए जोधपुर में बिताने पड़े दो माह
शाहजहांपुर। पीडि़ता की संघर्ष यात्रा में पग पग पर कांटे बिछाए गए। आमतौर पर पीडि़त पक्ष के जल्द बयान पूर्ण हो जाते हैं लेकिन, आसाराम के नामचीन वकीलों की फौज से पीडि़ता को 27 दिन तक जूझना पड़ा। इसके लिए उसे खतरे के बीच जोधपुर में दो माह बिताने पड़े..। 11 अप्रैल 2014 को शुरू बयान 13 जून 2014 तक चले। चार दिन मुख्य बयान दर्ज हो गए लेकिन आसाराम के वकीलों ने क्रास बयान के लिए 23 दिन का समय लिया। इस तरह कुल 27 कार्य दिवस में 94 पन्नों में दर्ज हुए।
मां के बयान में लगे 19 दिन पीडि़ता की मां को बयान के लिए जोधपुर में 16 जुलाई 2014 से 25 नवंबर 2014 तक रहना पड़ा। कुल 19 कार्य दिवस के भीतर 80 पेज में बयान दर्ज किए गए। इस दौरान पीडि़ता के पिता भी साथ रहे। बेटी की ढाल बने पिता बहादुर बेटी के लिए उसके पिता ढाल बने रहे। दो जनवरी 2015 को उनके बयान का नंबर आया। दो दिन में मुख्य बयान कर लिए गए लेकिन आसाराम के वकीलों के सवाल जबाव में 16 दिन लग गए। इस तरह 18 दिन के भीतर कुल 56 पन्नों में बयान दर्ज होने के बाद शेष गवाहों की बारी आई। इस दौरान पीडि़ता के पिता पर जोधपुर में होटल के भीतर आसाराम के गुर्गों ने हमले का भी प्रयास किया। किसी तरह बच पाए।
पीडि़ता के पक्ष में 44 ने गवाही जोधपुर केस में पुलिस ने दोनों पक्ष के 58-गवाह चिह्नित किए थे। इनमें पीडि़ता के पक्ष के 44 तथा बचाव पक्ष के 31 गवाहों ने गवाहों ने गवाही दी। तीन की हत्या, दो घायल एक लापता बेटी को डराने के लिए क्या कुछ नहीं किया गया। आसाराम के पंचेड़ बूटी रहस्य का खुलासा करने वाला दुष्कर्म प्रकरण का मुख्य गवाह व आसाराम के निजी वैद्य रहे अमृत प्रजापति, मुजफ्फरनगर निवासी आसाराम के रसोइया अखिल गुप्ता तथा शाहजहांपुर निवासी गवाह कृपाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आसाराम के निजी सचिव व जोधपुर, सूरत केस के मुख्य गवाह राहुल सचान पर कोर्ट के बाहर चाकुओं से गोदकर हत्या का प्रयास किया गया। लखनऊ में कार से कुचलने की कोशिश हुई। नवंबर 2015 से राहुल सचान लापता है।
महेंद्र चावला की गोली मारकर हत्या का प्रयास किया गया। खबरें छपने से नाराज दैनिक जागरण के पत्रकार की गर्दन काटकर हत्या का प्रयास किया गया। जोधपुर केस में पुलिस ने दोनों पक्ष के 58-गवाह चिह्नित किए थे। इनमें पीडि़ता के पक्ष के 44 तथा बचाव पक्ष के 31 गवाहों ने गवाही दी।
अखिल के पिता बोले, उम्रकैद की सजा पर्याप्त नहीं
जासं, मुजफ्फरनगर। शाहजहांपुर की बिटिया से यौन उत्पीड़न के मामले में आसाराम को जोधपुर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। एक अन्य मामले में आसाराम के खिलाफ गवाह बनने के बाद शहर के अखिल गुप्ता की हत्या कर दी गई थी। बुधवार को सजा सुनाए जाने के बाद अखिल के पिता नरेश गुप्ता ने सजा को अपर्याप्त बताया है। उनका कहना है कि अपराध के हिसाब से आसाराम को कुछ भी सजा नहीं मिली। उनके मन में टीस है कि यदि आसाराम के खिलाफ गवाही के बाद उनके बेटे को सुरक्षा मिलती तो उसकी जान नहीं जाती।
नई मंडी कोतवाली क्षेत्र के गीता एन्क्लेव निवासी अखिल गुप्ता आसाराम के अहमदाबाद आश्रम में रसोइया था। गुजरात में आसाराम के खिलाफ दो बहनों के यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज हुआ तो गुजरात पुलिस ने अखिल और उसकी पत्नी वर्षा को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। बाद में उन्हें सरकारी गवाह बना लिया था। अखिल अपने परिवार के साथ जानसठ रोड स्थित गीता एन्क्लेव में रह रहा था। 11 जनवरी 2015 को अखिल गुप्ता की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी, जब वह अपनी दुकान बंद कर अपने घर लौट रहे थे। मामले में गुजरात एटीएस ने आसाराम के सेवक रह चुके कार्तिक हलधर निवासी रामलोचनपुर को दबोचा था। कार्तिक ने अपने चार साथियों के साथ अखिल की हत्या करने की बात कबूली थी। फिलहाल कार्तिक करनाल जेल में बंद है।