मलेरिया परजीवी पर शोध के लिए सीडीआरआइ की विज्ञानी को प्रतिष्ठिति फेलोशिप
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की मलेरिया परजीवी की कार्यप्रणाली समझने के लिए किए गए डॉ. हबीब के उकृष्ट अनुसंधान कार्य के फलस्वरूप उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी नई दिल्ली के फेलो के रूप में चयनित किया गया है।
नई दिल्ली, आइएसडब्ल्यू। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की लखनऊ स्थित प्रयोगशाला केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) की विज्ञानी डॉ. समन हबीब को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के फेलो के रूप में चयनित किया गया है। मलेरिया परजीवी की कार्यप्रणाली समझने के लिए किए गए डॉ. हबीब के उकृष्ट अनुसंधान कार्य के फलस्वरूप उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली के फेलो के रूप में चयनित किया गया है।
डॉ. समन हबीब सीडीआरआइ के आणविक जीवविज्ञान विभाग की मुख्य विज्ञानी एवं सीएसआइआर से संबद्ध एकेडेमी ऑफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। उनका अध्ययन मुख्य रूप से प्लाज्मोडियम के अवशेष प्लास्टिड (एपिकोप्लास्ट) के आणविक कामकाज को समझने पर केंद्रित है। उनकी शोध टीम प्लाज्मोडियम ऑर्गनेल्स द्वारा नियोजित प्रोटीन ट्रांसलेशन की क्रियाविधि का अध्ययन कर रही है।
उनके शोध क्षेत्र में मानव आनुवंशिक कारक तथा भारत के स्थानिक और गैर-स्थानिक क्षेत्रों में प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम मलेरिया के प्रति गंभीर संवेदनशीलता का अध्ययन शामिल है।डॉ. हबीब वर्ष 2016 में भारतीय विज्ञान अकादमी, बेंगलुरु की फेलो रह चुकी हैं। वर्ष 2015 में वह नेशनल एकेडेमी ऑफ साइंसेज इंडिया, इलाहाबाद की फेलो रह चुकी हैं।
क्या है मलेरिया ?
मलेरिया रोग भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में परेशानी का कारण बन चुका है। पिछले कई सालों से यह लगातार बढ़ता जा रहा है। 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरे विश्व में 5 लाख मृत्यु हुई थी, जिसके बाद में ऐसा माना गया है कि बहुत सारी मौतें ग्रामीण परिवेश में होने की वजह से रिपोर्ट भी नहीं की गईं। मलेरिया को रोकने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही इसे रोकने के लिए हमें मलेरिया परजीवी के प्रकृति के बारे में जानना अति आवश्यक हो गया है।
कैसे फैलता है मलेरिया ?
मलेरिया के 80 प्रतिशत लोग प्लाज़मोडियम फेल्सीपेरम वाली प्रजाति से बीमार होते हैं। प्लाज़मोडियम परजीवी का प्रथम और प्रारम्भिक पोशाक होता है मादा एनोफ़ेलीज़ मच्छर, जो मलेरिया को फैलाने का काम करती है।