दूरियां होंगी खत्म, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की मुहिम के तहत काशी-तमिल संगम की तर्ज पर होंगे और संगम
काशी और समूचे तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने रिश्तों की डोर जिस तरह से फिर से जीवंत होते दिख रही है उसने इस मुहिम को आगे भी बढ़ाने को लेकर एक नई दिशा दी है। सरकार के स्तर पर इसे लेकर गंभीर मंथन शुरू हो गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोगों को भाषा, क्षेत्र और प्रांत आदि के नाम पर बांटने की हो रही कोशिशों के बीच सरकार अब एक भारत-श्रेष्ठ भारत की मुहिम को और रफ्तार देने की तैयारी में है। काशी-तमिल संगम को इस दिशा में एक बड़ी पहल के तौर पर देखा जा रहा है। इसके जरिए काशी और समूचे तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने रिश्तों की डोर जिस तरह से फिर से जीवंत होते दिख रही है, उसने इस मुहिम को आगे भी बढ़ाने को लेकर एक नई दिशा दी है। सरकार के स्तर पर इसे लेकर गंभीर मंथन शुरू हो गया है। साथ ही संकेत दिए जा रहे है कि आने वाले दिनों में काशी-तमिल संगम की तर्ज पर देश में ऐसे कुछ और संगम हो सकते है।
यह मुहिम सिर्फ शैक्षणिक संस्थानों तक ही सीमित
एक भारत-श्रेष्ठ भारत की मुहिम के तहत सरकार वैसे भी एक- दूसरे राज्यों को समझने और उनके खान-पान व संस्कृति को जानने के लिए एक अभियान चलाए हुए है। जिसमें एक राज्य को दूसरे राज्य के साथ जोड़ा गया था। हालांकि यह मुहिम सिर्फ शैक्षणिक संस्थानों तक ही सीमित है, लेकिन अब इसे और व्यापक स्तर पर और सभी आयु वर्ग के बीच इसे चलाने की तैयारी है। जिसमें काशी-तमिल जैसे संगम की भूमिका अहम हो सकती है।
यही वजह है कि शिक्षा और संस्कृति मंत्रालय के स्तर पर ऐसे कुछ और संगम को आयोजित करने की तैयारी चल रही है। जिसमें देश के ऐसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक से समृद्ध शहरों को चिन्हित करने की योजना है, जो पूर्व काल में किसी एक क्षेत्र में अपनी पहचान रखते है। जैसे संगीत के क्षेत्र को ही ले ले तो पहले देश में संगीत के जो प्रसिद्ध घराने थे उनमें आपसी जुड़ाव को मजबूती दी जाती है।
यह भी पढ़ें: Fact Check : सावरकर पर बनी डॉक्युमेंट्री के वीडियो को अंडमान जेल का बताकर किया जा रहा शेयर
16 दिसंबर तक चलेगा काशी-तमिल संगम: अधिकारी
इन शहरों को बीच भाषा व क्षेत्र के उन सारे बंधनों को तोड़कर सिर्फ उनके हुनर के आधार पर थे। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की माने तो काशी-तमिल संगम वैसे तो अभी 16 दिसंबर तक चलेगा। जिसके बाद इसकी पूरी समीक्षा होगा। साथ ही दोनों जगहों के लोगों की ओर से मिल रहे सुझावों का अध्ययन किया जाएगा। हालांकि प्रारंभिक स्तर पर लोगों से इसके जो रुझान मिल रहे है उनमें सभी चाहते है कि ऐसे आयोजन आगे भी होते रहने चाहिए।
क्योंकि देश में जिस तरह से लोगों को आपस में तोड़ने की कोशिश हो रही है, उनमें इस तरह की गतिविधियों से देश की एकता को मजबूती मिलेगी। गौरतलब है कि काशी-तमिल संगम के तहत तमिलनाडु के अलग-अलग शहरों से साहित्य, संस्कृति, अध्यात्म, व्यवसाय, शिक्षक, विरासत, उद्योग, मंदिर आदि क्षेत्रों से जुड़े करीब 21 सौ विशेषज्ञों को इसमें बुलाया जा रहा है।
यह भी पढ़ें: तीन दिन वाराणसी में रहेंगी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, तमिल संगमम् में विद्यार्थियों के साथ करेंगी संवाद