अव्यवस्था ने ली 57 शेर और बाघों की जान, अकेली बची शेरनी गुजार रही अंतिम दिन
पहले नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में शेरों व बाघों की मौत की जानकारी सार्वजनिक की जाती थी लेकिन उसके बाद यह सिलसिला भी खत्म हो गया। यहां ज्यादातर शेर और बाघ की मौत का कारण कैंसर रहा।
जयपुर, जेएनएन। सर्कस की क्रूरता से आजाद कर जयपुर के नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर लाए गए 58 शेर और बाघ गुमनामी में ही इस दुनिया से विदा हो गए। व्याप्त अव्यवस्थाओं के बीच इन शेरों और बाघों में से अब एक अकेली शेरनी 'बेगम' ही बची है। वह जिंदगी के 25 साल पूरे कर चुकी है। अब वह भी यहां अपने अंतिम दिन गुजार रही है।
दुनिया की नजर से दूर नजरबंदी में नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में रखे गए इन शेरों और बाघों को किन हालात में रखा गया, कभी कोई नहीं जान पाया। सर्कस में शेरों और बाघों के प्रदर्शन पर जब पाबंदी लगी तो इनको आजाद कराया गया था।
तब यह उम्मीद की गई थी कि इन जानवरों को सर्कस के रिंग मास्टर की क्रूरता से दूर एक बेहतर जिंदगी मिल पाएगी, इसलिए नाहरगढ़ में 2002 में रेस्क्यू सेंटर बनाया गया था। यहां 2002 से लेकर 2010 तक बाघों और शेरों के आने का सिलसिला जारी रहा। तब यहां लाए गए कुल वन्य जीवों की संख्या 58 थी। शेर और बाघ के अलावा इनमें एक बेहद दुर्लभ टाइगोन (टाइगर और लॉयन की शंकर प्रजाति) भी था।
नहीं कराया गया प्रजनन
इन बेजुबानों को यहां शिफ्ट तो कर दिया गया, लेकिन यहां आकर भी इन्हें आजाद जिंदगी नहीं मिल पाई। इनके मिक्स ब्रीड होने की वजह से यहां इनका प्रजनन नहीं कराया गया। इसका नतीजा यह रहा कि यहां ज्यादातर शेरनी व बाघिनों की बच्चेदानी में संक्रमण हो गया और उन्हें अपनी जिंदगी गंवानी पड़ी। वहीं प्रजनन न होने के तनाव से बहुत से जानवर यहां कैंसर होने के चलते मारे गए।
सार्वजननिक नहीं की गई जानवरों मौत की जानकारी
2016 तक यहां शेरों व बाघों की मौत की जानकारी सार्वजनिक की जाती थी, लेकिन उसके बाद यह सिलसिला भी खत्म हो गया। यहां ज्यादातर शेर और बाघ की मौत का कारण कैंसर रहा। वन्यजीव प्रेमी लगातार यहां के बाघों और शेरों की मौत के कारणों पर सवाल उठाते रहे, लेकिन उन्हें कभी कोई जवाब नहीं मिला। 2012 में इस मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर जवाब तलब किया, तब यहां शेर और बाघों की मौत की वजह उनकी उम्र बताई गई थी।
इसे भी पढ़ें: रणथंभौर में बाघों के बीच टकराव की आशंका, बाघ टी-104 फिर से जोन-6 में लौटा
डीएनए टेस्ट में ज्यादातर मिक्स ब्रीड के निकले
नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में इन जीवों को खाना, मेडिकल सुविधा और रहने की जगह तो मिली, लेकिन इनका अंत बेहद दुखद रहा। रेस्क्यू सेंटर में लाए गए इन जीवों को रिंग मास्टर के हंटर से तो निजात मिल गई, लेकिन जो जिदंगी उन्हें मिली उसे जिदंगी नहीं सजा कहा जा सकता है।
मौत के कारणों की होगी जांच : विश्नोई
प्रदेश के वन मंत्री सुखराम विश्नोई का कहना है कि इस रेस्क्यू सेंटर के हालात को सुधारने के लिए अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। अब तक जानवरों की किन परिस्थितियों में मौत हुई, इसकी रिपोर्ट मांगी जाएगी। उधर, वन विभाग के सूत्रों के अनुसार प्रबंधकीय लापरवाही के कारण बाघों और शेरों की मौत हो हुई है।
इसे भी पढ़ें: यहां 100 वर्ग किमी वन क्षेत्र पर 13 गुलदार, भोजन का बना है संकट