महंगे पेट्रोल-डीजल से जल्द मिलेगी राहत, ऐसे कई विकल्पों पर विचार कर रही है सरकार
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि पेट्रोल, डीजल के बढ़ते दाम पर काबू पाने के विकल्पों पर सरकार विचार कर रही है।
नई दिल्ली (एजेंसी)। सरकार ईंधन की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के तरीकों पर विचार कर रही है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने सोमवार यह बात कही। देश में इन दिनों पेट्रोल और डीजल के दाम रिकॉर्ड ऊंचे स्तर छू रहे हैं। प्रधान ने एक टीवी चैनल से कहा, 'कई विकल्पों पर गौर किया जा रहा है। हम जल्द कुछ करेंगे।'
हालांकि उन्होंने संभावित उपायों के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने की वजह से पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन काफी महंगे हो गए हैं। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक की तरफ से उत्पादन घटाए जाने के बाद कच्चे तेल की कीमत 2014 के आखिरी महीनों से लेकर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है।
भारत के लिए जोखिम
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा जोखिम है। वजह यह है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक है, जो अपनी जरूरत के तकरीबन 80 फीसदी हिस्से का आयात करता है।
सरकार के पास विकल्प
1. सरकार पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती कर सकती है।
असर: उत्पाद शुल्क में 1 रुपये की कटौती से सरकारी खजाने को करीब 13 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
2. पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है।
असर: फिलहाल इन पर 100 फीसद टैक्स लगता है, जबकि जीएसटी के दायरे में आने पर महज 28 फीसद टैक्स लगेगा।
3. जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, वहां वैट घटाया जा सकता है।
असर: मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश समेत देश के ज्यादातर हिस्से में पेट्रोल और डीजल के दाम कुछ कम हो जाएंगे।
4. सरकारी तेल विपणन कंपनियों पर दाम घटाने के लिए दबाव बनाया जा सकता है।
असर: कंपनियों का मार्जिन घटेगा और इस वजह से उनकी आय और मुनाफे को तगड़ी चोट पहुंचेगी। यह फैसला मुश्किल है।
टैक्स घटाना आसान
- पेट्रोल की कीमत में करीब 50 फीसदी और डीजल के दाम में 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सा टैक्स का होता है।
- डीजल पर केंद्र सरकार 15.50 रुपये प्रति लीटर और राज्य सरकारें 10 रुपये प्रति लीटर टैक्स वसूलती हैं।
- पेट्रोल पर केंद्र सरकार 19.50 रुपये प्रति लीटर और राज्य सरकारें 16 रुपये प्रति लीटर टैक्स की वसूलती हैं।
दबाव में सरकार
उद्योग मंडल फिक्की ने सोमवार को सरकार से कच्चे तेल के आयात पर उत्पाद शुल्क में फौरन कटौती करने की मांग उठाई। उधर, विपक्ष देश में ईधन की महंगाई को राजनीतिक मुद्दा बनाने पर उतारू है। जाहिर है, सरकार पर इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने का दबाव बढ़ता जा रहा है।