Move to Jagran APP

MSP कमेटी की दूसरी बैठक में प्राकृतिक खेती पर चर्चा, संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों ने नहीं लिया हिस्सा

घरेलू बाजार में उपज की बिक्री की राह की मुश्किलों को दूर करना होगा। बैठक में यह बात भी सामने आई कि मंडी कानून के मकड़जाल से किसानों को मुक्त करने की सख्त जरूरत है। कृषि क्षेत्र में कानूनी सुधार की आवश्यकता बनी हुई है।

By Jagran NewsEdited By: Arun kumar SinghPublished: Tue, 04 Oct 2022 11:00 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 11:00 PM (IST)
MSP कमेटी की दूसरी बैठक में प्राकृतिक खेती पर चर्चा, संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों ने नहीं लिया हिस्सा
एमएसपी समेत कृषि क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों पर विचार के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति की दूसरी बैठक

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत कृषि क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों पर विचार के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति की दूसरी बैठक में प्राकृतिक, परंपरागत, जीरो बजट और जैविक खेती पर विस्तार से चर्चा हुई। इन मुद्दों पर वैज्ञानिक पक्ष के साथ उन किसान प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया था जो इस तरह की सफल खेती कर रहे हैं। बैठक में ज्यादातर किसान प्रतिनिधियों ने इस तरह की खेती की उपज के लिए उपयुक्त बाजार की उपलब्धता का मुद्दा उठाया।

loksabha election banner

फसलों की उपज के सर्टिफिकेशन और बाजार का मुद्दा भी उठा

पिछले सप्ताह हुई समिति की बैठक में इन फसलों की उपज के सर्टिफिकेशन का मसला भी चर्चा में रहा। परंपरागत खेती करने वाले किसानों ने कमेटी के समक्ष प्रजेंटेशन देते हुए बताया कि इस तरह की खेती में लागत जरूर कम हो जाती है, लेकिन शुरुआत में उत्पादकता प्रभावित होती है। इसके लिए किसानों को कई तरीके से समर्थन देने की आवश्यकता पड़ेगी। कमेटी की इस बैठक का एजेंडा प्राकृतिक, परंपरागत, जीरो बजट और जैविक खेती निर्धारित किया गया था। समिति की बैठक में कई सदस्यों ने खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर खेती की इस प्रणाली को पूरे देश पर लागू नहीं करने की सलाह दी। चर्चा में इस बात पर भी हुई कि परंपरागत खेती की उपज की विश्वसनीयता जांचने के लिए मान्यता प्राप्त संस्था होनी चाहिए।

मंडी कानून से किसानों को मुक्त करने की सख्त जरूरत

हालांकि इसके लिए उपयुक्त बाजार का होना इससे भी ज्यादा आवश्यक है। घरेलू बाजार में उपज की बिक्री की राह की मुश्किलों को दूर करना होगा। बैठक में यह बात भी सामने आई कि मंडी कानून के मकड़जाल से किसानों को मुक्त करने की सख्त जरूरत है। कृषि क्षेत्र में कानूनी सुधार की आवश्यकता बनी हुई है। सरकार ने इसके लिए तीन नए कानून संसद से पारित भी कराए थे, लेकिन कुछ किसान संगठनों की जिद के आगे सरकार को झुकना पड़ा और कानूनों को वापस लेना पड़ा। समिति की इस बार की बैठक में भी संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों ने हिस्सा नहीं लिया।

इसे भी पढ़ें: Paddy Purchase In UP: 100 रुपये बढ़ी एमएसपी, 73 लाख टन धान खरीदेगी योगी आद‍ित्‍यनाथ सरकार

इसे भी पढ़ें: महंगाई पर कसेगी नकेल; अरहर, उड़द, मसूर के लिए खरीद सीमा बढ़ाने को मंजूरी; राज्यों को रियायती दर पर मिलेगा चना


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.