समझौते के बाद भी खारिज नहीं होंगे घृणित अपराध के मामले
पीठ ने कहा, 'हत्या, दुष्कर्म और डकैती जैसे मानसिक रूप से गहरा आघात करने वाले अपराध उपयुक्त रूप से खारिज नहीं किए जा सकते हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि पीड़ित या उसके परिवार ने आरोपी के साथ समझौता कर लिया है तो भी हत्या या दुष्कर्म जैसे घृणित अपराध के मामले की सुनावाई बंद नहीं होगी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि गंभीर अपराधों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हत्या, दुष्कर्म और डकैती जैसे अपराध अलग प्रकृति के नहीं होते हैं। इस पीठ में जस्टिस एएम खानवीलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे।
पीठ ने कहा, 'हत्या, दुष्कर्म और डकैती जैसे मानसिक रूप से गहरा आघात करने वाले अपराध उपयुक्त रूप से खारिज नहीं किए जा सकते हैं। यहां तक कि पीड़ित या परिवार ने विवाद में समझौता भी कर लिया हो तो भी ऐसा नहीं किया जा सकता। इस तरह के अपराध सच कहा जाय तो अलग प्रकृति के नहीं होते हैं। इनका समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तरह के मामलों में सुनवाई जारी रखना सार्वजनिक हित पर आधारित है। गंभीर अपराधों के लिए किसी को सजा मिलना सार्वजनिक हित में है।'
भूमि कब्जा मामले में शीर्ष अदालत ने दी व्यवस्था
शीर्ष अदालत ने यह व्यवस्था गुजरात के एक भूमि कब्जा मामले में दी है। इस मामले में चार लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी। गुजरात हाई कोर्ट ने एफआइआर खारिज करने से मना कर दिया। शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। चारों आरोपियों ने शिकायती के साथ समझौता होने के आधार पर एफआइआर खारिज करने की मांग की थी।
यह भी पढ़ें: एनसीआर में दिवाली पर पटाखों की बिक्री होगी या नहीं, SC में शुरू हुई सुनवाई