अमेरिका की एच-1 बी वीजा के नियम कड़े करने की योजना से निराश हुए प्रभु
एच-1 बी वीजा धारकों के जीवनसाथी को अमेरिका में काम करने से रोकने के निर्णय पर निराशा जाहिर करते हुए भारत ने आज उम्मीद जाहिर की कि ट्रंप प्रशासन इस मुद्दे पर पुनर्विचार करेगा।
नयी दिल्ली, पीटीआइ। अमेरिका द्वारा एच-1 बी वीजा के नियमों को कठोर करने से भारतीय पेशेवर ही नहीं, राजनेता भी निराश हैं। एच-1 बी वीजा धारकों के जीवनसाथी को अमेरिका में काम करने से रोकने के निर्णय पर निराशा जाहिर करते हुए भारत ने आज उम्मीद जाहिर की कि ट्रंप प्रशासन इस मुद्दे पर पुनर्विचार करेगा।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम में एच-1 बी वीजा धारकों के जीवनसाथी को अमेरिका में काम करने से रोकने के निर्णय पर निराशा जाहिर करते यहां कहा, 'वीजाओं पर चुनिंदा रोक लगाने का अमेरिकी निर्णय निराशाजनक है और हमें उम्मीद है कि अमेरिका इसमें सुधार करेगा।'
प्रभु ने कहा कि भारत ने पहले ही अमेरिका को अपनी आपत्तियों से अवगत करा दिया है। उन्होंने कहा, 'हमें इस वास्तविकता को सामने लाना होगा कि अमेरिका में भारतीय कंपनियां वहां की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।' उन्होंने कहा कि आईटी पेशेवर वहां अर्थव्यवस्था में उत्पादकता बढ़ाते हैं तथा सेवाओं में सुधार करते हैं। वह बोले, 'हमें लगता है कि अमेरिका को भारत की आपत्तियों को समझना चाहिए।'
प्रभु ने कहा, 'व्यापार के मुद्दे पर भी भारत ने अमेरिका को अपनी चिंताएं बता दी हैं।' उन्होंने कहा कि भारत को मालवाहक तथा यात्री विमानों की जरूरत होगी और अमेरिका इसका फायदा उठा सकता है।
H-1B वीजा
यह व्यवसायिक वीजा की श्रेणी में आता है। बैचलर डिग्री रखने वाले प्रोफेशनल कर्मचारी गैर अप्रवासी इस वीजा का आवेदन करने योग्य होते हैं। बशर्तें उनका नियोक्ता यह बताए कि उन्हें फलां पद के लिए इतनी सैलरी दी जाएगी। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रशासन को उस नियम को खत्म करने को कहा है जिसमें एच-1बी वीजा होल्डर्स की पत्नियों को अमेरिका में नौकरी करने की अनुमति मिलती है।