नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। हिंदी सिनेमा के रुपहले पर्दे पर अपने अभिनय से पिछली सदी के सातवें और आठवें दशक में लोकप्रियता का परचम लहराने वाली सुप्रसिद्ध अभिनेत्री आशा पारेख को वर्ष 2020 के प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 30 सितंबर को उन्हें भारतीय सिनेमा का यह सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान करेंगी।
अनुराग ठाकुर ने किया ऐलान
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, उन्हें यह एलान करते हुए खुशी हो रही है कि दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की जूरी ने भारतीय सिनेमा में आशा पारेख के जीवनभर के अनुकरणीय योगदान को मान्यता देने और उन्हें पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है। 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के 30 सितंबर के आयोजन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु आशा पारेख को इस सम्मान से नवाजेंगी। वह एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री ही नहीं, बल्कि निर्माता-निर्देशक के साथ कुशल भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना भी हैं। वह संवेदनशील अभिनय के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने मनोज कुमार, धर्मेंद्र, जितेंद्र, राजेश खन्ना जैसे हीरो के साथ काम किया। वह फिल्मों में अभिनेताओं के बराबर पैसे लेती थीं।
आशा भोंसले को अध्यक्षता में जूरी ने दिया पुरस्कार
पांच सदस्यीय जूरी की अध्यक्षता मशहूर गायिका आशा भोंसले ने की। इसके सदस्यों में हेमा मालिनी, गायक उदित नारायन अभिनेत्री पूनम ढिल्लन और टीएस नागभरण रहे। आशा पारेख ने करीब 85 फिल्मों में काम किया। शुरुआती दिनों में एक निर्माता निर्देशक ने कहा था कि उनमें स्टार अपील नहीं है।
विजय भट्ट ने काम देने से किया इंकार
आशा पारेख ने जब फिल्मों में काम करना शुरू किया था तब निर्माता-निर्देशक विजय भट्ट ने उन्हें फिल्म गूंज उठी शहनाई फिल्म में काम देने से इंकार कर दिया था कि उनमें स्टार अपील नहीं है। बाद में उन्होंने आशा पारेख की जगह अपनी फिल्म में नई अभिनेत्री को काम करने का अवसर दिया था।
बिमल राय ने उनके नृत्य को देख किया आफर
आशा पारेख का जन्म मुंबई के एक मध्य वर्गीय गुजराती परिवार में हुआ था। आशा पारेख ने महज 10 साल की उम्र में फिल्म 'आसमान' से बाल कलाकार के रूप में अभिनय की शुरुआत की थी। इस समय मशहूर फिल्म निर्देशक बिमल राय ने एक कार्यक्रम के दौरान आशा पारेख का नृत्य देखा तो वे काफी प्रभावित हुए। उन्होंने फिल्म 'बाप-बेटी' में काम का प्रस्ताव दिया। आशा पारेख ने छोटे मोटे रोल फिर अपना ध्यान पढ़ाई की तरफ लगाया।
नासिर हुसैन ने आशा पारेख को दी सुपर हिट फिल्में
1958 में आशा पारेख की मुलाकात निर्माता निर्देशक नासिर हुसैन से हुई। उन्होंने अपनी फिल्म दिल देके देखो में काम करने का प्रस्ताव रखा। 1960 में फिर से नासिर हुसैन की फिल्म 'जब प्यार किसी से होता है' में काम करने का अवसर मिला। यह फिल्म सुपर डुपर हिट हुई। इसके साथ आशा पारेख स्टार बन गईं। इसी के साथ आशा पारेख नासिर हुसैन की पसंदीदा अभिनेत्री बन गईं। उनकी 6 फिल्मों में काम किया। इसमें फिर वही दिल लाया हूं, बहारों के सपने, तीसरी मंजिल, प्यार का मौसम और कारवां जैसी सुपर-डुपर हिट फिल्में शामिल हैं। इन फिल्मों में 1966 से प्रदर्शित तीसरी मंजिल उनकी करियर के सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। उसके बाद उनकी ज्यादातर फिल्में सिल्वर जुबली हिट होने लगीं।
फिल्म 'कटी पतंग' में काम की हुई तारीफ
1970 में आई फिल्म कटी पतंग आशा पारेख की एक और सुपर हिट फिल्म साबित हुई। इसमें राजेश खन्ना के साथ आशा पारेख ने एक विधवा का रोल निभाया था। यह रोल काफी चुनौती से भरा था। आशा पारेख ने इस रोल को शानदार तरीके से निभाया। उन्हें उस रोल के लिए फिल्म फेयर का पुरस्कार मिला।
कई भाषाओं की फिल्मों में किया काम
आशा पारेख ने हिंदी फिल्मों के अलावा गुजराती, पंजाबी और कन्नड़ फिल्मों में काम किया। वह भारतीय सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष रह चुकी हैं। उन्होंने सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन की अध्यक्ष के रूप में 1994 से 2000 तक काम किया। उनके करियर को देखते हुए 1992 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी शानदार फिल्मों में हम हिंन्दुस्तानी, घूंघट, घराना, भरोसा, जिद्दी, लव इन टोकियो, दो बदन, मेरे सनम, आये दिन बहार के मेरा गांव मेरा देश, आन मिलो सजना, कारवां, बिन फेरे हम तेरे, मैं तुलसी तेरे आंगन के सौ दिन सास के, बुलंदी, कालिया, बंटवारा, आंदोलन शामिल हैं।
आजीवन अविवाहित रहीं
करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करने वाली आशा पारेख को शादी के लिए कई लोगों से आफर मिला। इसके बावजूद वह आजीवन अविवाहित रहीं। 2019 में एक इंटरव्यू में आशा पारेख ने बताया था कि अकेले रहने का फैसला मेरे सबसे सही फैसलों में से एक था। मैं एक शादीशुदा शख्स के प्यार में पड़ गई थी लेकिन मैं उसका घर तोड़ना नहीं चाहती थी। यही कारण था कि आगे की जिंदगी अकेले बिताना चाहती थी।
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