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जीएसटी संग्रह में गिरावट से बढ़ सकती हैं मोदी सरकार की मुश्किलें

कर राजस्व के जरिए खजाना भरने की रफ्तार चालू वित्त वर्ष में धीमी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 07:37 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 12:10 AM (IST)
जीएसटी संग्रह में गिरावट से बढ़ सकती हैं मोदी सरकार की मुश्किलें
जीएसटी संग्रह में गिरावट से बढ़ सकती हैं मोदी सरकार की मुश्किलें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी साल में कर राजस्व में सुस्ती सरकार के लिए खजाना भरने में चुनौती साबित हो सकती है। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों में प्रत्यक्ष और परोक्ष कर संग्रह में अपेक्षानुरूप वृद्धि नहीं हुई है। खासकर जीएसटी संग्रह अभी तक उम्मीद से कम रहा है।

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कंट्रोलर जनरल ऑफ एकाउंट यानी सीजीए के अनुसार सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 में कर राजस्व के रूप में 14.80 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों में यानी जुलाई तक सरकार 2.92 लाख करोड़ रुपये कर राजस्व के रूप में जुटा चुकी है जो बजट लक्ष्य का 19.8 प्रतिशत है।

हालांकि पिछले साल सरकार ने इस अवधि में आम बजट 2017-18 में तय किए कर राजस्व के लक्ष्य के मुकाबले 21 प्रतिशत राशि जुटा ली थी। इस तरह कर राजस्व के जरिए खजाना भरने की रफ्तार चालू वित्त वर्ष में धीमी है। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने पिछले साल के मुकाबले 14.4 प्रतिशत अधिक राजस्व प्रत्यक्ष करों से जुटाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन शुरुआती चार महीने का ट्रेंड बताता है कि इसमें महज सात फीसदी के आस-पास वृद्धि हो रही है।

राजस्व में अपेक्षानुरूप बढ़ोत्तरी न होने की एक वजह यह भी है कि मासिक जीएसटी संग्रह अब तक अनुमान से कम रहा है। केंद्र सरकार को चालू वित्त वर्ष में हर महीने जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद थी लेकिन अगर अप्रैल को छोड़ दें तो बाकी किसी भी महीने में जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा नहीं छू पाया है।

विशेष बात यह है कि 21 जुलाई को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में लगभग 100 वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दर घटाने के संबंध में लिए गए लोकलुभावन फैसले के चलते अगस्त में जीएसटी संग्रह में गिरावट आयी है।

सूत्रों ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में राजस्व की धीमी वृद्धि को देखते हुए राजस्व विभाग ने कर संग्रह बढ़ाने के उपाय तेज कर दिए हैं। जीएसटी का बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करने तथा कर चोरी रोकने पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही प्रत्यक्ष कर खासकर व्यक्तिगत आय कर और कारपोरेट टैक्स के मोर्चे पर भी कर संग्रह बढ़ाने पर जोर दिया गया है।

विभाग को उम्मीद है कि ई-वे बिल के प्रभावी क्रियान्वयन तथा जीएसटी के सरल रिटर्न के लागू होने पर जीएसटी अनुपालन में सुधार आएगा जिससे राजस्व में वृद्धि होगी।


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