आ अब लौट चलें: प्रवासी मजदूरों के लिए जीवन के दिन कभी इतने मुश्किल नहीं थे, जितने अब हैं
अपने घरों की तरफ पैदल जाने वाले मजदूरों की मौत ने हर किसी को दुख पहुंचाया है।
नई दिल्ली। लॉकडाउन से ठप हुए काम धंधों से परेशान देश के कोने-कोने से औद्योगिक केंद्रों में आए प्रवासी इस कदर परेशान हो चुके हैं कि वे अब अपने मुलुक वापसी कर रहे हैं। जिन्हें सरकारी मदद मिली वे उससे पहुंच रहे हैं, जिन्हें कुछ नहीं मिला, उन्होंने अपने पैरों पर भरोसा किया और तपती धूप और विषम हालात के बावजूद सैकड़ों किमी की दूरी अपने हौसले से नापने की ठान ली। झुंड के झुंड लोग सूने हाईवे पर चले जा रहे हैं। गांव पहुंचने की छांव तपती रोड़ी से उनके पैरों में पड़ रहे छालों के लिए मरहम बनी हुई है। जैसे जैसे गांव की दूरी सिमट रही है, हताशा और निराशा के उनके भाव मुस्कान में बदल रहे हैं। चप्पलें टूट चुकीं हैं, कंधे पर बच्चे को लादे श्रवण कुमार की भांति चले जा रहे हैं, लेकिन बीच रास्ते में राजा दशरथ के तीर उन्हें बेध दे रहे हैं।
जी हां, सूनी सड़कों पर तेजी से आ रहे वाहनों से ऐसे कई प्रवासियों की मौत हो चुकी है। इस भयावह स्थिति से प्रवासियों को बचाने के लिए नेशनल रोड सेफ्टी नेटवर्क ने केंद्र सरकार को अपनी कुछ सिफारिशें सौंपी हैं। इसके हिस्से के रूप में सेव लाइफ फाउंडेशन ने आंकड़े पेश किये हैं, जिसके मुताबिक, लॉकडाउन के पहले चरण से अब तक करीब 100 प्रवासी 1100 से अधिक सड़क दुर्घटनाओं में मारे जा चुके हैं। पेश है एक नजर:
ड्राइवर से जुड़ी प्रक्रिया
ड्राइवर के पास वैध कॉमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए। चालक को इलाके से परिचित होना चाहिए। उदाहरण के लिए, पहाड़ियों की सड़क पर गाड़ी चलाने का अनुभव रखने वाले ड्राइवर को केवल ऐसे इलाके में गाड़ी चलाने के लिए कहा जाना चाहिए। चालकों को मार्ग के बारे में पर्याप्त जानकारी प्रदान की जानी चाहिए ताकि वे विशेष रूप से लंबी दूरी के अंतरराज्यीय आवागमन के लिए ठीक से ड्राइव कर सकें। ड्राइवर के यात्रा शुरू करने से पहले अधिकारियों द्वारा ब्रीफिंग दी जानी चाहिए। यात्रा के दौरान चालक को हर समय एक सहायक और सहायक चालक के साथ होना चाहिए।
इसके अलावा, अधिकारियों को कमांड और नियंत्रण केंद्र के माध्यम से बस चालक दल के साथ दो-तरफ़ा संचार चैनल सुनिश्चित करना चाहिए। चालक और अन्य कर्मचारियों को एसओपी और सुरक्षा सावधानियों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।
ड्राइविंग की टाइमिंग तय होनी चाहिए, जो कि 8 घंटे से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। थकान के जोखिम को कम करने के लिए 8 घंटे से अधिक की लंबी यात्रा के लिए बस में 2 ड्राइवर मौजूद होने चाहिए ताकि उन्हें पर्याप्त आराम मिल सके और वे बारी-बारी से गाड़ी चला सकें। चालक के लिए भोजन और अच्छी गुणवत्ता वाले पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
गति को कम करने के लिए
तेज गति को कम करने के लिए जहां पर संभव हो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगाए जाने चाहिए। वाहन की गति पर नजर रखने के लिए जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
ओवरलोडिंग रोकने के लिए
मानक आकार के लिए 12 मीटर बस, अधिकतम स्वीकार्य कुल यात्री क्षमता 18-20 जबकि मिनी बसों के लिए 12-14 होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, ड्राइवर सहित 44 सीटर बस के लिए, केवल 18-20 लोगों को अनुमति दी जानी चाहिए।
आपातकालीन देखभाल के लिए
चालक और यात्रियों को ब्रेकडाउन या आपात स्थिति के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन नंबरों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। बस में ड्राइवर और कंडक्टर की देखरेख में मानक प्राथमिक चिकित्सा किट होना चाहिए।
सड़क का सुरक्षित बुनियादी ढांचा
राज्य सरकार को सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले असुरक्षित सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शहरी सड़कों, राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर साइकिल चालकों और पैदल यात्रियों के लिए अस्थायी लेन का निर्माण करना चाहिए।
किसी भी इंजीनियरिंग से जुड़े मामलों या दोषों की जांच के लिए यात्रा पूर्व वाहन का निरीक्षण किया जाना चाहिए। मसलन, वर्किंग साइड और रियर व्यू मिरर और इंडिकेटर आदि। हमने सड़क पर यात्रा करने वाले प्रवासियों की सुरक्षा के लिए 15 सिफारिशें की हैं। इसका उद्देश्य विशिष्ट जोखिम कारकों को कम करना है। इसके जरिये विभिन्न माध्यमों से अपने घरों की ओर जा रहे प्रवासियों की जान बचाई जा सकती है। पीयूष तिवारी, संस्थापक, सेव लाइफ