समुद्री सुरक्षा के खतरों से अकेले निपटना किसी देश के लिए कठिन, रॉयल नेवी भारत के साथ काम करने को तैयार
हिंद महासागर के सुरक्षा आयामों से जुड़े सवाल पर एडमिरल फ्रेजर ने कहा कि बेशक संप्रभुता का आदर करते हुए स्वतंत्र आवाजाही के अधिकार का ब्रिटेन समर्थन करता है।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। समुद्री सुरक्षा की चुनौतियों के आयाम इतने बढ़ गए हैं कि दुनिया के किसी भी देश के लिए ऐसे बहुआयामी खतरों से अकेले निपटना कठिन है। समुद्री सुरक्षा की ऐसी नई चुनौतियों के साथ वैश्विक आतंकवाद के खतरों का मुकाबला करने के लिए ब्रिटेन भारत के साथ मजबूत सहयोग चाहता है। विशेष रूप से हिंद महासागर की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की रणनीति में ब्रिटिश रॉयल नेवी भारतीय नौसेना के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।
वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों से जुड़े मसलों पर भारतीय सैन्य और रणनीतिक विशेषज्ञों से चर्चा के लिए आए ब्रिटेन के वाइस चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ एडमिरल टीम फ्रेजर ने 'दैनिक जागरण' से विशेष चर्चा में यह बात कही।
सबसे बड़ी चुनौती अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी
उन्होंने कहा कि समुद्री सुरक्षा के लिहाज से सबसे बड़ी चुनौती अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी है। साथ ही अवैध मछुआरों की समस्या भी गंभीर है जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंचाते हैं। हिंद महासागर के सुरक्षा आयामों से जुड़े सवाल पर एडमिरल फ्रेजर ने कहा कि बेशक संप्रभुता का आदर करते हुए स्वतंत्र आवाजाही के अधिकार का ब्रिटेन समर्थन करता है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी को स्वीकार नहीं किया जा सकता। हम मानते हैं कि हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा में भारत की अहम भूमिका है।
इसीलिए रॉयल नेवी भारतीय नौसेना के साथ मिलकर इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए प्रभावी तरीके से काम करने को तैयार है। समुद्री सुरक्षा के दृष्टिकोण से अपना इंफॉरमेशन फ्यूजन सेंटर स्थापित करने के लिए उन्होंने भारत की तारीफ की। इससे सूचनाओं के आदान-प्रदान में तो मदद मिलेगी ही, साथ ही समुद्र में जहाजों की आवाजाही की विशेष जानकारी भी मिल सकेगी।
ब्रिटेन आधुनिक एयरक्रॉफ्ट कैरियर देने को तैयार
रणनीतिक संबंधों के अलावा भारत के साथ रक्षा सहयोग की भावी संभावनाओं के सवाल पर एडमिरल फ्रेजर ने कहा कि अगर भारत चाहेगा तो ब्रिटेन अपने सबसे आधुनिक एयरक्रॉफ्ट कैरियर 'क्वीन एलिजाबेथ' देने के विकल्प पर गौर करने को तैयार है।
उन्होंने कहा कि इलेक्टि्रक संचालित 65 हजार टन भार क्षमता वाला यह एयरक्राफ्ट कैरियर भारत के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है। गहरे समुद्र में आधुनिक पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट उड़ान भर सकें इस लिहाज से इसका निर्माण किया गया है। रॉयल नेवी का यह सबसे ताकतवर एयरक्राफ्ट कैरियर भारतीय नौसेना के साथ प्रस्तावित अगले सैन्य अभ्यास में जल्द ही यहां आएगा। उन्होंने कहा कि इसी तरह भारतीय नौसेना की तकनीकी विशेषज्ञता की महारथ को हासिल करने में रॉयल नेवी की दिलचस्पी है।
भारत-पाक के बीच सभी मसले द्विपक्षीय
भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनावपूर्ण रिश्तों के संदर्भ में ब्रिटिश वाइस चीफ ऑफ डिफेंस ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच सभी मसलों को द्विपक्षीय मानते हैं। इसीलिए इनका दीर्घकालिक राजनीतिक समाधान भारत-पाक आपसी द्विपक्षीय वार्ता से ही निकाल सकते हैं।
यह भी पढ़ें: पीएम मोदी ने कसा तंज, मुंबई बम ब्लॉस्ट के दोषियों को पकड़ने के बजाय उनके साथ किया व्यापार
यह भी पढ़ें: कमलेश हत्याकांड : आतंकी संगठन ISIS से जुड़ेंं हैं तार, गुजरात ATS ने पहले ही जताई थी आशंका