India Coronavirus Vaccine: कोरोना वायरस के पाए जा रहे अलग-अलग रूप , इसलिए टीका विकसित करना चुनौती
India Coronavirus Vaccine News यह कोशिका के जीन में बदलाव कर देता है जिससे कोशिका इसका आदेश मानने लगती है। ऐसा बड़ी तेजी से होता है।
संजय दुबे। India Coronavirus Vaccine News: कोरोना एक विषाणु जनित रोग है। विषाणु एक बिना कोशिका का सूक्ष्मजीव है जो नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से बनता है। इसकी सबसे खास बात है कि ये अपना जीवन चक्र खुद नहीं चला सकता। इसके लिए उसे किसी जीवित कोशिका की दरकार होती है। ये हजारों वर्षों तक वातावरण में मौजूद रह सकता है। वाइरस निर्जीव रूप में एकत्रित रह सकते हैं। यह निर्जीव रूप में जब हमारे संपर्क में आता है तब किसी एक ही कोशिका को अपने लिए चुनता है। फिर यह अपना काम शुरू करता है। यानी अपने ही तरह के विषाणुओं का प्रजनन। यह कोशिका के जीन में बदलाव कर देता है जिससे कोशिका इसका आदेश मानने लगती है। ऐसा बड़ी तेजी से होता है।
नतीजन हालात तेजी से बिगड़ने लगते हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ कोरोना ही अपना काम तेजी से कर रहा है। विज्ञान ने भी इसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। अमेरिका समेत तमाम यूरोपिय देशों में इस बीमारी का टीका विकसित किया जा रहा है। कई देशों में इसका निर्माण कर लिया गया है और अब यह क्लीनिकल ट्रायल के फेज में है। चूंकि यह फेज ज्यादा खर्चीला और लंबा होता है, लिहाजा अभी समय लग सकता है, लेकिन आज दुनिया में विज्ञान ने इतनी तरक्की जरूर कर ली है कि बीमारियों का इलाज या उसकी दवा का निर्माण कर पाना पहले की तरह से बहुत मुश्किल नहीं रहा है।
हां, यह बात अलग है कि वर्तमान कोरोना वायरस एक अलग रूप में आया है, क्योंकि विज्ञानियों का मानना है कि विभिन्न देशों में इसका स्वरूप अलग-अलग है। यहां तक कि कई देशों में तो एक ही देश में इसके अनेक स्वरूप पाए गए हैं। भारत में यह कम से कम दस तरह का पाया गया है, जिस कारण इसका टीका विकसित करना विज्ञानियों के लिए एक बडी चुनौती का विषय जरूर बन गया है, लेकिन तमाम शोध संगठनों ने यह उम्मीद जताई है कि बहुत जल्द इसका टीका विकसित कर लिया जाएगा।
दरअसल वायरस का अंग्रेजी में शाब्दिक अर्थ विष होता है। हालांकि हमें यह भी समझना होगा कि हमारे आसपास या धरती पर पाए जाने वाले सभी किस्म के वायरस नुकसानदायक नहीं होते। कुछ फायदेमंद भी होते हैं, जिन्हें बैक्टीरियोफेज या में जीवाणुभोजी कहते हैं। विषाणुओं को लेकर आज दुनिया काफी संवेदनशील है। इनके अध्ययन का क्षेत्र काफी व्यापक है। दरअसल ऐसा इसलिए हुआ कि इनकी वजह से दुनिया को काफी बीमारियां झेलनी पड़ी। जुकाम, इन्फुलएंजा, दस्त, खसरा, रेबीज, चेचक, पोलियो, हैपेटाइटिस आदि विषाणुजनित बीमारियों का आज भी डर बना रहता है। इनसे फिलहाल दुनिया को इसलिए मौत वाला खौफ नहीं लगता, क्योंकि इनका इलाज है। डर कोरोना से ही है। अभी तक दुनिया ने 5,450 वायरस की कुंडली तैयार की है जिसकी प्रजातियों की संख्या करीब दो हजार है। दरअसल इंसान एक कशेरूकी प्राणी है। इसमें वो सभी प्राणी सम्मिलित रहते हैं जिनमें रीढ़ की हड्डी पाई जाती है। इसमें लगभग 58,000 तक जीव हैं।
अभी तक ज्ञात जीवों में कशेरूकियों की आबादी लगभग पांच फीसद है। जब भी किसी कशेरूकीय प्राणी के शरीर का सामना किसी वायरस से होता है, तब उसका शरीर एंटीबॉडी का निर्माण करता है। ये एंटीबॉडी उस वायरस को खत्म करने के लिए शरीर को तैयार करते हैं। इसी एंटीबॉडी से टीकाकरण की शुरुआत होती है। जैसा कि कोरोना के मामले में भी हो रहा है, अभी भी इसके पहले रोगी की तलाश जारी है, क्योंकि उससे वैज्ञानिकों को काफी अहम जानकारी मिल सकती है। जैसे उस व्यक्ति के शरीर ने इस वायरस के खिलाफ किस तरह का व्यवहार किया और किस तरह का एंटीबॉडी का निर्माण उसमें हुआ। किसी भी रोग का टीका उसके विषाणुओं से शरीर में उत्पन्न हुए एंटीजन के अध्ययन के बगैर संभव नहीं है। ऐसे में जब टीका तैयार हो जाता है, तो उसे उन व्यक्तियों के शरीर में पहले डाला जाता है, जो इससे पीडित रह चुके हों। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि विषाणु का हमला होने पर शरीर में मौजूदा एंटीजन की रोगरोधी प्रक्रिया स्वतः शुरू हो जाय।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)