घर से ही मिटेगा बेटे-बेटी का भेद: नीता अंबानी
बेटा और बेटी का भेद मिटाने के लिए किसी अभियान की जरुरत नहीं। इसकी शुरुआत परिवार से ही हो सकती है। जबकि देश की सामाजिक और जातीय समस्याओं को शिक्षा से ही बदला जा सकता है। रविवार को आइटीसी मुगल में आमिर खान के लाइव शो मुमकिन है
जागरण संवाददाता, आगरा। बेटा और बेटी का भेद मिटाने के लिए किसी अभियान की जरुरत नहीं। इसकी शुरुआत परिवार से ही हो सकती है। जबकि देश की सामाजिक और जातीय समस्याओं को शिक्षा से ही बदला जा सकता है।
रविवार को आइटीसी मुगल में आमिर खान के लाइव शो मुमकिन है, में बतौर अतिथि शामिल हुईं रिलायंस फाउंडेशन की चेयरपर्सन नीता अंबानी ने पत्रकारों से यह बात कही। श्रीमती अंबानी ने कहा कि देश में विकास की गति तो बढ़ी है, लेकिन मानव मूल्यों का हृास हुआ है। मानसिक विकृतियां बढ़ी हैं, जिसे शिक्षा के जरिए ही दूर किया जा सकता है। इसके लिए जागरुकता बहुत जरूरी है। सामाजिक संगठनों को भी इसमें सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
एक सवाल पर उन्होंने कहा कि देश में उद्योगों का विकास तेजी से हो रहा है। युवाओं को रोजगार मिल रहे हैं, जिससे हर ओर खुशियां हैं। उद्योगों का विकास होगा, तो देश के विकास को भी गति मिलेगी।
निभाया बेटे का फर्ज
शो के दौरान आमिर के अनुरोध पर श्रीमती अंबानी ने अपने निजी पहलू सार्वजनिक किए। नीता अंबानी ने कहा कि बच्चों को संस्कारों और मानव मूल्यों की शिक्षा घर से ही मिलती है। मेरी एक बेटी है और जुड़वा बेटे हैं। मैंने अपने बच्चों में कभी कोई भेद नहीं किया।
श्रीमती अंबानी ने निजी पल शेयर करते हुए कहा तीन महीने पहले पिता का निधन हुआ। वे दो बहने हैं, भाई नहीं है। पिता का अंतिम संस्कार कौन करे, इस बात पर चर्चा हुई। हमने पहले ही कह दिया था कि हम करेंगे। कुछ लोगों के विरोध के बावजूद हम दोनों बहनों ने पिता को मुखाग्नि दी। इस प्रकार जब बेटा-बेटी का स्वयं भेद मिटाएंगे, तभी समाज में इस प्रकार का बदलाव आ सकेगा।
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हॉलीवुड की नकल की जरूरत नहीं: किरन राव
फिल्म अभिनेता आमिर खान की पत्नी किरन राव का कहना है कि हमारे देश में फिल्मों का विकास तेजी से हो रहा है। इसके लिए हमें हॉलीवुड की नकल की जरूरत नहीं है।
श्रीमती राव होटल आइटीसी मुगल में लाइव शो मुमकिन है, में आमिर के साथ आई हुई थीं। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री लगातार विकास कर रही है। नई सोच के साथ नई तरह की फिल्में बन रही हैं। बहुत सारी फिल्में हॉलीवुड को टक्कर दे रही हैं, इसलिए हमें हॉलीवुड की नकल की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि आज जो भी भारतीय फिल्मोंे में दिखाया जा रहा है, वह समाज का ही प्रतिबिंब है। जैसा समाज देखना चाहता है, वैसा ही फिल्म निर्माता दिखाते हैं।
सत्यमेव जयते कार्यक्रम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसके जरिए देशवासियों की इंसानियत को जगाने की कोशिश की गई है। हर शो ने समाज में अच्छा संदेश दिया है। यह शो भले ही आखिरी था, लेकिन जल्द ही इसे फिर शुरू किया जाएगा।
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