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इंटरनेट की 4जी स्‍पीड के पीछे है इस शख्‍स का हाथ, भारतीय नौसेना को दिए 26 वर्ष

4जी या 5जी इंटरनेट स्‍पीड को लेकर आपने भी बड़े-बड़े विज्ञापनों को देखा और सुना होगा। लेकिन क्‍या कभी आपने इस बारे में सोचा है कि आखिर इस 4जी या 5जी स्‍पीड के पीछे किस इंसान की सोच रही होगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 04:26 PM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 04:43 PM (IST)
इंटरनेट की 4जी स्‍पीड के पीछे है इस शख्‍स का हाथ, भारतीय नौसेना को दिए 26 वर्ष
इंटरनेट की 4जी स्‍पीड के पीछे है इस शख्‍स का हाथ, भारतीय नौसेना को दिए 26 वर्ष

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। 4जी या 5जी इंटरनेट स्‍पीड को लेकर आपने भी बड़े-बड़े विज्ञापनों को देखा और सुना होगा। लेकिन क्‍या कभी आपने इस बारे में सोचा है कि आखिर इस 4जी या 5जी स्‍पीड के पीछे किस इंसान की सोच रही होगी। शायद आप इस शख्‍स के बारे में न जानते हों, लेकिन जानना जरूर चाहते हों। हम आज आपको उसकी इंसान के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल, आप इंटरनेट की जिस स्‍पीड की चर्चा हर जगह सुनते हैं उसके पीछे 74 वर्षीय आरोग्‍यस्‍वामी पॉलराज की सोच रही है। भारतीय नौसेना में अपनी जिंदगी के 26 वर्ष देने वाले पॉल ने ही उस तकनीक को इजाद किया जिसको आज 4जी कहा जाता है। इस तकनीक का नाम मेमो तकनीक है। नौसेना से कॉमोडोर पद से रिटायर होने के बाद पॉल अमेरिका शिफ्ट हो गए और वह अब वहां पर स्‍टेनफॉर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। पिछले दिनों दिल्‍ली में हुई मोबाइल कांग्रेस में जब वह हिस्‍सा लेने आए तब कई बातों का खुलासा उन्‍होंने किया।

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भारत-पाक युद्ध
1944 में तमिलनाडु के कोयम्‍बटूर में जन्‍मे पॉल राज ने 1971 में भारत-पाकिस्‍तान के बीच हुए युद्ध के दौरान पनडुब्‍बी में लगी सोनार तकनीक में कई खामियों को खोज निकाला था। उन्‍होंने इसको दूर करने के लिए प्रोसेसिंग तकनीक इजाद की जिसका इस्‍तेमाल आज पनडुब्बियों में किया जा रहा है। यहां से अमेरिका में बसने वाले पॉल ने बाद में मेमो तकनीक विकसित की, इसका उपयोग आज पूरी दुनिया में हो रहा है। इसी तकनीक पर 4जी काम भी करता है। उन्‍होंने नौसेना से रिटायर होने के बाद ही कम्‍यूनिकेशन सिस्‍टम पर काम करना भी शुरू किया। लेकिन एक समय था जब उनकी बातों पर कोई विश्‍वास नहीं करता था, बल्कि उनका मजाक उड़ाया जाता था। लेकिन आज वही लोग उनपर गर्व करते हैं। हालांकि आज जब वह 5जी की बात करते हैं तब भी उन्‍हें वहीं नकारात्‍मक सोच का सामना करना पड़ता है। लेकिन वह मानते हैं कि जिस तरह से 4जी ने यहां पर लोगों की सोच को बदल दिया है वहीं 5जी का भी असर लोगों के ऊपर सिर चढ़कर बोलेगा।

5जी बदल देगा जीवनशैली
उन्‍होंने भारत के संदर्भ में बात करते हुए कहा कि 5जी यहां के लोगों की जीवनशैली में अभूतपूर्व प्रभाव डालेगा। इसकी वजह से दूर गांव में बैठा कोई भी व्‍यक्ति दिल्‍ली के बड़े अस्‍पताला में बैठे डॉक्‍टर रसे इलाज करवा सकेगा। उनके मुताबिक 5जी से लोगों की कई तरह की दिक्‍कतें दूर हो जाएंगी। उनकी निगाह में चीन की तकनीक कई मामलों में अमेरिका से अधिक विकसित है।

अगले वर्ष होगा 5जी का परिक्षण
आपको यहां पर ये भी बता दें कि जिस 5जी तकनीक को लेकर अभी लोगों के नकारात्‍मक विचार सामने आ रहे हैं अगले साल दक्षिण कोरिया की दिग्गज दूरसंचार कंपनी सैमसंग इस तकनीक के फील्ड परीक्षण की योजना बना रही है। यह परीक्षण दिल्ली में भी होने की संभावना है और कंपनी इसके लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) के साथ भी मिलकर काम कर रही है। अभी तक दुनियाभर में 5जी को लेकर करीब 150 परीक्षण हुए हैं वहीं अब तक इस मामले में भारत ही पिछड़ा हुआ है। सरकार ने एक नई समिति गठित की है जो विशेषतौर पर 5जी के फील्ड ट्रायल के लिए एक मॉडल विकसित करेगी। माना जा रहा है कि 2020 तक भारत में 5जी की व्यावसायिक शुरुआत हो जाएगी। लेकिन शुरुआती दौर में यह सीमित क्षेत्र के लिए ही तैयार किया जाएगा बाद में इसका विस्‍तार धीरे-धीरे किया जाएगा। इसके अलावा अक्‍टूबर 2018 के पहले हफ्ते में ही अमेरिकी कंपनी वेरिजॉन ने देश के कुछ शहरों में सीमित स्‍तर पर 5जी सर्विस लॉन्‍च की है। यह 5जी सर्विस का दुनिया का पहला कमर्शियल लॉन्‍च माना जा रहा है।

क्‍या है 3जी और 4जी तकनीक
3जी वायरलेस कम्‍युनीकेशन की दुनिया में थर्ड जनरेशन तकनीक के नाम से जानी जाती है। जो साल 2001 में पहली बार दुनिया में लॉन्‍च हुई थी। इसमें डाटा ट्रांसफर की गति 144kbps से बढ़कर 2 एमबीपीएस तक पहुंची गई। इस तकनीक द्वारा वाइस कॉलिंग के साथ ही हाई स्‍पीड इंटरनेट और वीडियो कॉलिंग की सुविधाएं मिलना शुरु हुईं।

इसे फोर्थ जनरेशन वायरलेस तकनीक के साथ ही 4G-LTE (Long-term evolution) भी कहा जाता है। दुनिया में पहली बार 4जी सेवाएं साल 2009 में स्‍वीडन और नॉर्वे की राजधानी में लॉन्‍च हुईं थीं। इसमें डाटा ट्रांसमिशन की स्‍पीड 3जी की तुलना करीब 10 गुना तक बढ़ गई। नेटवर्क केबल्‍स की क्षमता और लोड के अनुसार इसकी फाइनल डाउनलोडिंग स्‍पीड 5 से 12 मेगाबिट्स प्रति सेकेंड तो अपलोडिंग स्‍पीड 2 से 5 मेगाबिट्स प्रति सेकेंड के बीच होती है। हालांकि कुछ देशों में 4G-LTE पर अधिकतम स्‍पीड 50 मेगाबिट्स प्रति सेकेंड तक मिलती है।

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