खत्म नहीं हुईं स्मार्ट सिटी की चुनौतियां
स्मार्ट सिटी की सूची में स्थान पाने भर से बात नहीं बनेगी, बल्कि इसके लिए संबंधित शहरों को चुनौतियों की कड़ी प्रतिस्पर्धा से गुजरना होगा। खासतौर से पहले चरण के 20 शहरों की सूची में स्थान पाने के लिए तो और भी पसीने बहाने होंगे।
एसपी सिंह, नई दिल्ली। स्मार्ट सिटी की सूची में स्थान पाने भर से बात नहीं बनेगी, बल्कि इसके लिए संबंधित शहरों को चुनौतियों की कड़ी प्रतिस्पर्धा से गुजरना होगा। खासतौर से पहले चरण के 20 शहरों की सूची में स्थान पाने के लिए तो और भी पसीने बहाने होंगे।
इसमें राज्यों का कोटा नहीं होगा, बल्कि उनकी परियोजना रिपोर्ट को प्राथमिकता दी जाएगी। स्मार्ट सिटी वाले शहर निकाय के महापौर और आयुक्तों के दो दिवसीय शिविर में उनके संदेह दूर करने के साथ प्रोजेक्ट तैयार करने के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। शिविर में देश के इन प्रतिनिधियों के साथ दुनियाभर की प्रमुख कंसलटेंट कंपनियों के विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया। शहरों ने अपने लिये कंपनियों के साथ अनुबंध भी किया जो उनके लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करेंगी। स्थानीय निकायों से इस आशय की एक रिपोर्ट बनाने को कहा गया है, जिनमें उनकी मजबूती, कमजोरियां, अवसर और चुनौतियां (स्वॉट) शामिल की जाएं। शिविर में शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए प्रस्तावित योजना तैयार करने से पहले परस्पर विचार-विमर्श किया गया।
राज्यों से महापौरों ने स्मार्ट सिटी की योजना से संबंधित कई मुद्दे जोर शोर से उठाये। उन्होंने योजनाओं को दूसरे चरण की प्रतिस्पर्धा में पूरी तरजीह देने का मुद्दा उठाया। लेकिन स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सभी स्मार्ट सिटी के लिए चुने शहरों के प्रस्ताव में इसका विस्तार से जिक्र होना चाहिए कि वे अपने शहरों का विकास किस तरह करेंगे। इनमें रेट्रोफिटिंग, पुनर्विकास और ग्रीनफील्ड मॉडल का प्रावधान है।
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इसमें इसका भी जिक्र होना चाहिए कि उनके अपनाये मॉडल से शहर के कितनी बड़ी आबादी को लाभ मिल पायेगा। इसमें ई गर्वनेंस, जलापूर्ति व ऊर्जा प्रबंधन, इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्ट प्रणाली और टेली मेडिसिन जैसी सहूलियतों के बारे में बताया जाना चाहिए। शहरी विकास मंत्रालय ने स्मार्ट सिटी के विकास में प्रौद्योगिकी का उपयोग बुनियादी ढांचा, परिवहन प्रणाली में बसों को जीपीएस का उपयोग करने को कहा है। बसों की खरीद सीधे 'अमृत' से की जाएगी। मंत्रालय ने यह साफ कर दिया है कि चयनित प्रत्येक सौ स्मार्ट सिटी के लिए निर्धारित 500 करोड रुपये ही मिलेंगे। प्रस्तावित परियोजना में इसका उपयोग निर्धारित दिशानिर्देशों के हिसाब से किया जा सकेगा। पहले चरण के 20 शहरों का चयन उनकी प्रस्तावित परियोजना के आधार पर किया जाएगा, जो निर्धारित अपेक्षाओं पर खरी होंगी।