अब इस टेंशन को करो अलविदा, आपके बच्चे की हर गतिविधि पर नजर रखेगा Smart Shoe
झारखंड की कोयला खदान में काम करने वाले एक शख्स ने एक ऐसा जूता बनाया है जो जीपीएस सिस्टम से लैस है। इसको उन्होंने स्मार्ट शू का नाम दिया है।
धनबाद [राजीव शुक्ला]। आपका लाडला स्कूल गया है। वह वहां क्या कर रहा है, पढ़ाई में रुचि ले रहा है या दोस्तों से गपशप कर रहा है। स्कूल से कहीं और तो नहीं चला गया। यह चिंता अभिभावकों को अक्सर सताती रहती है। अब तकनीक ने इस परेशानी का भी हल ढूंढ़ लिया है। अब एक ऐसा स्मार्ट शू आ गया है जिसकी मदद से बच्चे की हर गतिविधि पर नजर रखी जा सकती है।
खास बात यह है कि इस जूते में लगी डिवाइस को किसी वैज्ञानिक ने नहीं बल्कि धनबाद स्थित भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) कंपनी की गोलकडीह कोयला खदान में काम करने वाले माइनिंग सरदार सीतेश्वर राय ने तैयार किया है। इस डिवाइस को सीतेश्वर ने अपने 13 वर्षीय बेटे सत्यम राय के जूते में लगाया है। इस जूते को सीतेश्वर ने स्मार्ट शू नाम दिया है। धनबाद जिले के झरिया चांद कुइयां में रहने वाले सीतेश्वर ने बताया कि अभिभावकों की बच्चे के प्रति चिंता को ध्यान में रख ऐसी डिवाइस बनाने का खयाल आया।
उसने बेशक कला संकाय से इंटर उत्तीर्ण किया, पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बारे में जानने की बचपन से ललक थी। इनके बारे में हमेशा वह इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से जानकारी लेते रहते थे। यही ज्ञान काम आया और यह डिवाइस बना डाली।
ऐसे काम करती है डिवाइस
इस उपकरण में मोबाइल रिसीवर, जीपीएस प्वाइंट, 3.5 वोल्ट की बैटरी, माइक्रोफोन व मोबाइल सिम का प्रयोग किया गया है। जब बच्चे के बारे में जानना होगा तो इसमें लगे सिम के नंबर पर मोबाइल से फोन करना होगा। खास बात ये कि बच्चे की डिवाइस में कोई घंटी नहीं बजेगी, बल्कि मोबाइल रिसीवर के माध्यम से वह सीधे आपके फोन से जुड़ जाएगी। बच्चा कहां है यह जानकारी जीपीएस (ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम) से मिल जाएगी। यह उपकरण 20 फीट तक के दायरे में उत्पन्न हो रही हर आवाज को पकड़ने में सक्षम है। इस आवाज को आप अपने मोबाइल पर सुन सकेंगे। आवाज के आधार पर पता लग जाएगा कि बच्चा क्या कर रहा है। इसमें लगी बैटरी एक बार चार्ज होने पर 17 दिनों तक चलती है। पूरा सिस्टम ध्वनि तरंगों के सिद्धांत पर आधारित है।
बीसीसीएल सीएमडी ने किया था पुरस्कृत
सीतेश्वर राय इससे पहले खुली खदान में काम करने वाले कामगारों को गर्मी और प्रदूषण से बचाने के लिए हेलमेट बना चुके हैं। हेलमेट में सौर ऊर्जा से संचालित पंखा लगा है। इससे निकलने वाली हवा से कोयला व धूल कण पास नहीं फटकते, पंखा कामगार को गर्मी से भी बचाता है। हेलमेट बनाने के लिए 2016 में बीसीसीएल के तत्कालीन सीएमडी टीके लाहिड़ी ने सीतेश्वर को 25 हजार रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया था।
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