केंद्र सरकार ने किया साफ, तेल कीमतों को लेकर कोई हस्तक्षेप नहीं
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा सरकार की तरफ से तेल कंपनियों पर इस तरह का कोई दबाव नहींबनाया जा रहा है कि वे तेल कीमतों में हो रही वृद्धि को खुद ही वहन करे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अतंरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के बेहद महंगा होते देख देश में तेल कीमतों को लेकर चल रहे कयासों पर स्वयं पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पर्दा गिरा दिया है। प्रधान ने इस बात से साफ तौर पर इनकार किया है कि सरकार की तरफ से तेल कंपनियों पर इस तरह का कोई दबाव बनाया जा रहा है कि वे तेल कीमतों में हो रही वृद्धि को खुद ही वहन करे।
अंतरराष्ट्रीय इनर्जी फोरम की दो दिवसीय बैठक के समापन के बाद संवाददाताओं को प्रधान ने बताया कि सरकार के पास इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है। भारत तेल कीमतों को लेकर काफी संवेदनशील है, इसके बावजूद हम तेल कंपनियों पर मौजूदा कीमत व्यवस्था में बदलाव के लिए कोई निर्देश देने नहीं जा रहे। प्रधान ने एक दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से कही गई बात को दोहराया कि, भारत एक समझदारी व उत्तरदायी कीमत चाहता है।
दरअसल, कच्चे तेल की कीमतें उस समय बढ़नी शुरु हुई है जब भारत में एक के बाद एक चुनाव होने वाले है। सबसे पहले मई में कर्नाटक में और उसके चार-पांच माह बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। उसके बाद अगले वर्ष आम चुनाव भी है। दूसरी तरफ तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) की रणनीति यह है कि किसी भी तरह से कच्चे तेल की कीमतों को 80 डॉलर के आस पास रखा जाए। अभी यह 72 डॉलर प्रति बैरल है जो पिछले तीन वर्षो का उच्चतम स्तर है। अगर क्रूड आठ डॉलर और महंगा होता है तो इसकी वजह से देश में पेट्रोल और डीजल की मौजूदा कीमतों को भी काफी बढ़ाना होगा। विपक्ष अभी से ही पेट्रोल व डीजल की कीमतों को लेकर सरकार पर हमला करना शुरु कर चुका है। यह एक बड़ी वजह है कि केंद्र सरकार हर कीमत पर क्रूड को और सस्ता करने की मांग तेल उत्पादक देशों के सामने रख रही है।
अंतरराष्ट्रीय इनर्जी फोरम की बैठक में प्रधान ने 22 देशों के पेट्रोलियम मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक की। सउदी अरब, इरान जैसे बड़े तेल उत्पादक देशों के साथ उनकी बातचीत के केंद्र में क्रूड की कीमतें ही रही। भारत अपनी जरुरत का 84 फीसद विदेशों से कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में इसकी कीमतों में होने वाली बढ़ोतरी का असर देश की पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।