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फौजी टुकड़ियों के कूच से चौंकी थी सरकार

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। जनरल वीके सिंह को सेनाध्यक्ष पद छोड़े 20 महीने से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन उनके कार्यकाल से जुड़े विवादों का जिन्न रह-रहकर सामने आ जाता है। हाल में सेवानिवृत्त पूर्व डीजीएमओ [सैन्य अभियान के महानिदेशक] लेफ्टिनेंट जनरल एके चौधरी के मुताबिक जनरल सिंह के कार्यकाल में सैन्य अभ्यास के लिए सैन्य टुकड़ियों के दिल्ली की ओर आने को लेकर उन्हें देर रात रक्षा मंत्रालय में तलब कर कैफियत मांगी गई थी।

By Edited By: Published: Fri, 21 Feb 2014 12:36 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2014 11:41 PM (IST)
फौजी टुकड़ियों के कूच से चौंकी थी सरकार

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। जनरल वीके सिंह को सेनाध्यक्ष पद छोड़े 20 महीने से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन उनके कार्यकाल से जुड़े विवादों का जिन्न रह-रहकर सामने आ जाता है। हाल में सेवानिवृत्त पूर्व डीजीएमओ [सैन्य अभियान के महानिदेशक] लेफ्टिनेंट जनरल एके चौधरी के मुताबिक जनरल सिंह के कार्यकाल में सैन्य अभ्यास के लिए सैन्य टुकड़ियों के दिल्ली की ओर आने को लेकर उन्हें देर रात रक्षा मंत्रालय में तलब कर कैफियत मांगी गई थी। हालांकि, मामले को खारिज कर बंद अध्याय बताने में लगी सरकार ने सेना के साथ किसी अविश्वास की आशंका को नकारा है। वहीं जनरल सिंह ने इसे छवि खराब करने साजिश करार दिया।

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महत्वपूर्ण है कि बंगाल एरिया कमांडर के पद से दो सप्ताह पहले सेवानिवृत्त जनरल चौधरी ने अचानक मुद्दे पर चुप्पी तोड़ी है। चौधरी जनवरी 2012 में सेना मुख्यालय में बतौर डीजीएमओ तैनात थे। मीडिया से बातचीत में उन्होंने सैन्य टुकड़ियों के मूवमेंट को 'सामान्य अभ्यास संबंधी गतिविधि' बताने के साथ ही कहा कि रक्षा सचिव ने उन्हें देर रात तलब कर स्पष्टीकरण मांगा था।

चौधरी के मुताबिक तत्कालीन रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा के आगे उन्होंने मामले पर स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि 15-16 जनवरी की देर शाम दो सैन्य टुकड़ियां सामान्य अभ्यास के लिए दिल्ली की ओर आ रही थीं।

टुकड़ियों को लेकर सरकार की आशंकाओं के बारे में पूछे जाने पर चौधरी का कहना था कि इस संबंध में उनसे पूछा जाना चाहिए। सवाल पूछते वक्त उनके मन में क्या था और कुछ संशय थे या नहीं इस बारे में वह बताने में असमर्थ हैं। उल्लेखनीय है कि जनरल सिंह के उम्र विवाद तथा सरकार के खिलाफ अदालत में जाने और दिल्ली की ओर सैन्य दस्तों के बढ़ने की घटनाओं ने कई सवालों को हवा दे दी थी।

आशंकाओं के बीच ही सरकार में उच्चस्तरीय मंत्रणा के बाद आगरा व हिसार से चली सैन्य टुकड़ियों को रास्ते से ही लौटा दिया गया था। साथ ही तत्कालीन रक्षा सचिव ने देर रात वर्दी में डीजीएमओ को तलब कर सैन्य टुकड़ियों के मूवमेंट पर स्पष्टीकरण मांगा था।

हालांकि, रक्षा मंत्री एके एंटनी के मुताबिक दो साल पुराने इस मामले पर संसद में भी स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं। चौधरी के बयानों पर पूछे गए सवालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने भी कहा कि सरकार और सेना के बीच अविश्वास की कोई जगह नहीं है। मैं सिविलियन हूं और सेना के साथ काम करता हूं।

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मुझे तो कहीं ऐसा कुछ नजर नहीं आता। इस बीच पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने मामले को अपनी छवि खराब करने की साजिश करार दिया है। सोशल नेटवर्किग साइट पर लिखे संदेश में उन्होंने मंत्रालय से संबद्ध रहे एक अधिकारी की भूमिका पर सवाल उठाए। वैसे इस बीच पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने सेना की छवि और निष्ठा पर सवाल उठाने वाले इस मामले की गहन जांच कराए जाने का आग्रह किया।


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