डीजीसीए ने राज्यों को वीआइपी उड़ानों के प्रति किया आगाह
डीजीसीए ने 24 मार्च, 2014 के एयर सेफ्टी सर्कुलर में संशोधन करते हुए 10 अप्रैल, 2018 को नया सर्कुलर जारी किया गया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। डीजीसीए ने राज्य सरकारों को वीआइपी उड़ानों में हेलीकॉप्टरों व छोटे विमानों के उपयोग के प्रति आगाह करते हुए उनसे उड़ान से पहले विमान सुरक्षा से संबंधित समस्त पहलुओं की पूरी पड़ताल सुनिश्चित करने को कहा है। नियमों का उल्लंघन होने पर ऑपरेटरों और पायलटों के लाइसेंस सस्पेंड अथवा रद्द भी किये जा सकते हैं। इस संबंध में डीजीसीए ने 24 मार्च, 2014 के एयर सेफ्टी सर्कुलर में संशोधन करते हुए 10 अप्रैल, 2018 को नया सर्कुलर जारी किया गया है।
नवीनतम सर्कुलर के मुताबिक राज्य सरकारों के ऐसे सभी विभाग तथा उनमें काम करने वाले जिम्मेदार प्रबंधक, जिनका संबंधी वीआइपी उड़ानों के बंदोबस्त से है, उन्हें उक्त सर्कुलर में उल्लिखित निर्देशों के अलावा गृह मंत्रालय के 1981 के दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। इसके अलावा उन्हें पायलटों तथा हेलीकाप्टर और चार्टर्ड विमानों का संचालन करने वाली एजेंसियों के इंजीनियरिंग तथा आपरेशन के कार्य से जुड़े कर्मचारियों को भी नियमित रूप से इन निर्देशों की जानकारी देनी होगी। उड़ान से पहले उन्हें यह देखना होगा कि विमान तथा हेलीकॉप्टर पूरी तरह फिट है और उड़ान संबंधी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहा है। दुबारा ईधन भरने की जरूरत पड़ने पर ईधन उपयुक्त क्वालिटी चेक करनी होगी। उड़ान के पहले आपरेटर को भी विमान की फिटनेस और प्रक्रियाओं के अनुपालन के बारे में सुनिश्चित होना चाहिए।
सर्कुलर में अन्य बातों के अलावा उड़ान से पहले पायलटों की समुचित मेडिकल जांच तथा विमान के कुल वजन की समुचित माप को आवश्यक बताते हुए इसका कड़ाई से पालन करने को कहा गया है। डीजीसीए की ओर से जारी निर्देश में चेतावनी दी गई है कि इन निर्देशों का अनुपालन नहीं होने की स्थिति में आपरेटर तथा पायलटों का लाइसेंस निश्चित समय के लिए निलंबित अथवा स्थायी रूप से रद किया जा सकता है।
ये निर्देश 2015 में अरुणाचल प्रदेश में हुई पवन हंस हेलीकाप्टर दुर्घटना के आलोक में जारी किए गए हैं। इसमें पायलट समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी। इस दुर्घटना की जांच रिपोर्ट हाल में जारी हुई है। रिपोर्ट में अरुणाचल प्रदेश के नागरिक विमानन विभाग की लापरवाही को दुर्घटना के लिए जिम्मेदार माना गया है। विभाग डीजीसीए के नियमों का उल्लंघन कर अपने मन से हेलीकॉप्टर सेवाओं का संचालन कर रहा था। उसके पास न हो हेलीकाप्टरों की उड़ान से संबंधित कोई ढांचा था और न ही आवश्यक मानक प्रक्रियाओं की कोई जानकारी नहीं थी।