टिड्डियों के दल से विमानों को भी खतरा, डीजीसीए ने पायलटों के लिए जारी किया दिशा-निर्देश
डीजीसीए ने कहा है कि टिड्डियों के दल से लैंडिंग और टेक ऑफ के समय विमानों को भी खतरा हो सकता है। डीजीसीए ने पायलटों और इंजीनियरों के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किया है।
नई दिल्ली, एजेंसियां। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने शुक्रवार को कहा कि टिड्डियों के दल से लैंडिंग और टेक ऑफ के समय विमानों को भी खतरा हो सकता है। इससे निपटने की खातिर डीजीसीए ने पायलटों और इंजीनियरों के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है। भारत 20 से अधिक वर्षो में सबसे खराब रेगिस्तानी टिड्डियों के आक्रमण से जूझ रहा है। फसल नष्ट करने वाली टिड्डियों ने पहले राजस्थान पर हमला किया और अब यह पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश तक फैल गई हैं।
डीजीसीए ने अपने दिशा-निर्देश में कहा है कि हालांकि टिड्डी आकार में छोटी है। लेकिन, विंडशील्ड पर इसके बड़ी संख्या में आ जाने से पायलट को आगे देखने में परेशानी हो सकती है। लैंडिंग और टेकऑफ के दौरान ऐसा होना गंभीर चिंता की बात है। ऐसे समय में वाइपर के इस्तेमाल से धब्बा और भी फैल सकता है। इसलिए पायलटों को विंड शील्ड से टिड्डियों को हटाने के लिए वाइपर का इस्तेमाल करने से पहले इस पहलू पर भी विचार करना चाहिए।
इस बीच, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक याचिका दायर कर हालात से निपटने के लिए केंद्र सरकार की आकस्मिक योजना को लागू करने की मांग की गई है। एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि आकस्मिक योजना होने के बावजूद राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य फरवरी से टिड्डियों के हमले का सामना कर रहे हैं और कुछ क्षेत्रों में स्थिति खराब हो रही है।
गुजरात और महाराष्ट्र उन लाखों कीड़ों के झुंड से प्रभावित हुए हैं, जो खेत में फसलों को खा जाते हैं। इससे फसल को भारी नुकसान पहुंचता है। दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते टिड्डियों के हमले को नियंत्रित करने के लिए निवारक उपायों पर मंगलवार को एक एडवायजरी जारी की। इसने अधिकारियों से किसानों में जागरूकता फैलाने, कीटनाशक का छिड़काव करने और रात के दौरान कीड़ों को आराम नहीं करने देने को कहा।