विशेषाधिकार की छतरी के साथ लौटीं देवयानी
न्यूयॉर्क की ग्रैंड ज्यूरी द्वारा आरोप तय किए जाने के बाद बावजूद देवयानी खोबरागडे की भारत वापसी में राजनयिक विशेषाधिकार दर्जा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संयुक्त राष्ट्र मिशन में तैनाती के बाद देवयानी को जी-1 वीजा हासिल हुआ, जिसके तहत उन्हें पूर्ण राजनयिक विशेषाधिकार का दर्जा मिला।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। न्यूयॉर्क की ग्रैंड ज्यूरी द्वारा आरोप तय किए जाने के बाद बावजूद देवयानी खोबरागडे की भारत वापसी में राजनयिक विशेषाधिकार दर्जा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संयुक्त राष्ट्र मिशन में तैनाती के बाद देवयानी को जी-1 वीजा हासिल हुआ, जिसके तहत उन्हें पूर्ण राजनयिक विशेषाधिकार का दर्जा मिला। संयुक्त राष्ट्र के साथ हुए समझौैते के तहत अमेरिका यूएन में तैनात राजनयिकों को जी-1 वीजा देने के लिए बाध्य है। उन्हें यह विशेषाधिकार सेवा में रहने तक प्राप्त होगा।
किसी भी सरकारी प्रतिनिधिमंडल में सदस्य के तौर पर जाने पर उन्हें पूर्ण राजनयिक दर्जा हासिल होगा। इस स्थिति में उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा। सिर्फ गैर सरकारी यात्रा की स्थिति में उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
स्थिति, 13 दिसंबर, 2013- घरेलू नौकरानी के वीजा आवेदन में धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तारी
- ढाई लाख डॉलर की जमानत पर रिहा
- देवयानी का पासपोर्ट अमेरिका के पास जमा
- अदालत में पेशी की बाध्यता
स्थिति, 10 जनवरी, 2014- भारत में सुरक्षित वापस
- जमानत शर्त उल्लंघन का कोई मामला नहीं
- नया पासपोर्ट और जी-1 वीजा
- पूर्ण राजनयिक विशेषाधिकार का दर्जा
- राजनयिक विशेषाधिकार रहने तक मुकदमे में पेशी से छूट
कूटनीतिक बदले का दूसरा मामला
भारत और अमेरिका के कूटनीतिक रिश्तों में एक-दूसरे के राजनयिकों को निकालने का यह दूसरा मामला है।
इससे पहले सितंबर 1981 में अमेरिका ने भारतीय राजनयिक प्रभाकर मेनन को देश छोड़ने को कहा था।
वहीं, समान कदम उठाते हुए भारत ने भी अमेरिकी दूतावास में उस वक्त तैनात राजनीतिक मामलों के काउंसलर जॉर्ज सीबी ग्रिफिन को हटाने के आदेश दिए थे।
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