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ऐसा कम भी नहीं था देवयानी की घरेलू सहायिका का पैकेज

पांच सौ डॉलर [करीब तीस हजार रुपये] वेतन, स्वास्थ्य बीमा, आवास एवं मुफ्त भोजन, सरकारी पासपोर्ट और हवाई यात्रा के लिए आने-जाने का किराया। यह वेतन-भत्ते किसी बड़ी कंपनी के कर्मचारी के नहीं बल्कि संगीता रिचर्ड को मई, 2013 तक मिल रहे थे जब तक वह न्यूयॉर्क में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागडे की घरेलू सहायिका के तौर पर काम कर रही थी। संगीता अब अमेरिका में कहीं लापता है और भारतीय राजनयिक कम वेतन देने के जुर्म में अमेरिकी कानून के कठघरे में।

By Edited By: Published: Tue, 17 Dec 2013 10:31 PM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2013 10:35 PM (IST)
ऐसा कम भी नहीं था देवयानी की घरेलू सहायिका का पैकेज

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। पांच सौ डॉलर [करीब तीस हजार रुपये] वेतन, स्वास्थ्य बीमा, आवास एवं मुफ्त भोजन, सरकारी पासपोर्ट और हवाई यात्रा के लिए आने-जाने का किराया। यह वेतन-भत्तो किसी बड़ी कंपनी के कर्मचारी के नहीं बल्कि संगीता रिचर्ड को मई, 2013 तक मिल रहे थे जब तक वह न्यूयॉर्क में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागडे की घरेलू सहायिका के तौर पर काम कर रही थी। संगीता अब अमेरिका में कहीं लापता है और भारतीय राजनयिक कम वेतन देने के जुर्म में अमेरिकी कानून के कठघरे में।

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मामले की विडंबना ही कहिए कि 4500 डॉलर प्रतिमाह का वेतन न दे पाने के लिए 1999 बैच की विदेश सेवा अधिकारी खोबरागडे को गिरफ्तार किया गया। इतनी तनख्वाह भारत की उप महावाणिज्य दूत के तौर पर खुद देवयानी को भी नहीं मिल रही। अंदरखाने भारतीय कूटनीतिक खेमा मानता है कि अगर केवल कागजी दस्तावेजों के आधार पर तौलें तो देवयानी कठघरे में खड़ी हैं। उन्हें तय 9.5 डॉलर प्रतिघंटा की दर से नौकरानी को वेतन न देने के आरोप लगे हैं।

दरअसल, देवयानी ने घरेलू सहायिका के वीजा के लिए आवेदन करते वक्त न्यूनतम वेतन की जानकारी दी थी। वहीं, भारतीय राजनयिकों का कहना है कि वीजा आवेदन की सूचनाएं देखने के बाद ही उसे वीजा दिया गया। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक जून, 2013 में संगीता के देवयानी का घर छोड़कर जाने के बाद भारत ने 24 जून को उसे ढूंढने में मदद भी मांगी थी। यह बात और है कि इस बारे में आज तक भारतीय दूतावास को अमेरिका में मदद हासिल नहीं हुई।

अमेरिका में तैनात रह चुके एक भारतीय के शब्दों में घरेलू नौकरों को मिलने वाली सुविधाओं को केवल वेतन के आधार पर नहीं तौला जा सकता। स्वास्थ्य बीमा, सरकारी खर्च पर हवाई यात्रा और आवास व भोजन समेत कई सुविधाएं उन्हें वेतन के अतिरिक्त हासिल होती हैं जो अमेरिका में न्यूनतम दर से वेतन प्राप्त करने वालों को हासिल नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक अमेरिका में तैनात करीब सौ भारतीय राजनयिकों में से केवल 15-20 ही हैं जिन्हें घरेलू सहायक रखने की इजाजत है।

देवयानी के मामले में भारतीय खेमे की सारी प्रतिक्रिया इस प्रकरण में हुई पुलिस कार्रवाई को लेकर है। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार बीते साठ सालों में कहीं भी किसी भारतीय राजनयिक की कपड़े उतरवाकर तलाशी नहीं ली गई। लिहाजा अभूतपूर्व घटना की प्रतिक्रिया स्वाभाविक है।

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