फांसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण में भुल्लर, सुनवाई 28 को
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने का अनुरोध करने वाली खालिस्तानी उग्रवादी देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर की क्यूरेटिव याचिका स्वीकार कर ली। याचिका पर सुनवाई 2
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने का अनुरोध करने वाली खालिस्तानी उग्रवादी देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर की क्यूरेटिव याचिका स्वीकार कर ली। याचिका पर सुनवाई 28 जनवरी को होगी।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 15 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। कोर्ट ने दया याचिकाओं के निपटारे मे देरी और दोषियों के मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के आधार पर फांसी को उम्रकैद में बदला था।
कोर्ट ने दया याचिकाओं के निपटारे के संबंध में दिशानिर्देश भी तय किए। और तो और कोर्ट ने सभी अपराधों में समान रूप से देरी को आधार माने जाने की व्यवस्था देकर फांसी का इंतजार कर रहे भुल्लर के लिए उम्मीदों का रास्ता भी खोल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने टाडा जैसे आतंकवाद निरोधक कानून में दोषी ठहराये गए अपराधी के मामलों में अलग नजरिया अपनाए जाने के भुल्लर के फैसले में दी गई व्यवस्था से असहमति जताई थी।
खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के उग्रवादी भुल्लर को 1993 में दिल्ली में हुए बम विस्फोट मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी। यूथ कांग्रेस दफ्तर के बाहर किए गए बम विस्फोट के निशाने पर युवा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष एमएस बिट्टा थे। इस धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि बिट्टा घायल हो गए थे।
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