स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए शुल्क निर्धारण ट्राई पर छोड़ा जाएगा
शुल्क निर्धारण ट्राई के अधिकार क्षेत्र में लिहाजा मंत्रालय नहीं करेगा हस्तक्षेप।
नई दिल्ली, आइएएनएस। सरकार ने स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए न्यूनतम कीमत निर्धारित नहीं करने का फैसला किया है। दूरसंचार सचिव अंशु प्रकाश ने बताया कि विभाग ने इस बारे में टेलीकॉम नियामक ट्राई को किसी तरह की सलाह नहीं दी है। उन्होंने कहा कि इस मामले में शुल्क निर्धारण ट्राई के अधिकार क्षेत्र में आता है, लिहाजा सरकार इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेगी। अगले महीने डिजिटल कम्यूनिकेशन कमीशन की बैठक होगी, जिसमें स्पेक्ट्रम नीलामी को लेकर चर्चा की जाएगी।
प्रकाश ने मोबाइल सेवाओं के लिए शुल्क निर्धारण पर भी स्थिति साफ की। उन्होंने बताया कि इस समय मोबाइल शुल्क निर्धारण की कोई व्यवस्था नहीं है। इसका मतलब है कि मोबाइल फोन सेवाओं का शुल्क निर्धारण पूरी तरह से टेलीकॉम कंपनियों के हाथ में है। नियम के मुताबिक शुल्क निर्धारण के सात दिन के भीतर ट्राई को इस बारे में अवगत कराना होता है। उन्होंने बताया कि पैनल की बैठक में न्यूनतम शुल्क निर्धारण को लेकर चर्चा हुई थी। इस दौरान टेलीकॉम सेक्टर को और नुकसान से बचाने और इसकी सेहत में सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा हुई। इससे पहले पैनल ने टेलीकॉम सेक्टर को बकाया चुकाने के लिए दो वर्ष का अतिरिक्त समय दिए जाने की सिफारिश की थी।
टेलीकॉम सचिव ने बताया कि एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद टेलीकॉम कंपनियों से बकाया वापस लेने के लिए दूरसंचार विभाग प्रयासरत है। इस मामले में नॉन टेलीकॉम कंपनियों से भी लाइसेंस और स्पेक्ट्रम फीस वसूली जाएगी। गौरतलब है कि एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद टेलीकॉम सेक्टर के ऊपर करीब 1.4 लाख करोड़ की देयता आ गई है। हालांकि टेलीकॉम कंपनियों ने इसमें राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।
राहत पैकेज पर गठित सचिवों की समिति भंग
टेलीकॉम सेक्टर को राहत देने के उपायों पर चर्चा के लिए बनाई गई सचिवों की समिति को भंग कर दिया गया है। एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टेलीकॉम सेक्टर लगातार राहत की मांग कर रहा था। राहत पैकेज पर चर्चा के लिए सरकार ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। इस समिति की सलाह पर सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को बकाया वापस करने के लिए दो वर्ष की अतिरिक्त छूट दे दी है। सरकार के इस फैसले से वोडाफोन आइडिया, एयरटेल और रिलायंस जियो को 42,000 करोड़ रुपये चुकाने के मामले में राहत मिलेगी। सूत्रों के मुताबिक इस फैसले के बाद समिति की जरूरत नहीं रह गई।