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मोदी-चिनफिंग के बीच हुई एक दर्जन मुलाकातें, फिर भी बढ़ी तल्खी

मोदी और चिनफिंग के बीच इन तीन वर्षो में तकरीबन 12 बार मुलाकात हो चुकी है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sun, 02 Jul 2017 07:30 PM (IST)Updated: Sun, 02 Jul 2017 07:46 PM (IST)
मोदी-चिनफिंग के बीच हुई एक दर्जन मुलाकातें, फिर भी बढ़ी तल्खी
मोदी-चिनफिंग के बीच हुई एक दर्जन मुलाकातें, फिर भी बढ़ी तल्खी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कूटनीति में अक्सर यह होता है जब दो देशों के सरकारों के प्रतिनिधियों के बीच लगातार मुलाकात होती है और उनके बीच केमिस्ट्री बनती है तो इसका असर उन देशों के बीच के रिश्तों पर भी पड़ता है। लेकिन भारत और चीन फिलहाल अपवाद नजर आते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच पिछले तीन वर्षो में तकरीबन एक दर्जन बार बैठक होने के बावजूद दोनो देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में दोनो नेताओं के बीच फिर इस हफ्ते मुलाकात के आसार हैं लेकिन कूटनीतिक जानकार उससे बहुत उम्मीद नहीं लगा रहे।

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मोदी और चिनफिंग जी-20 देशों की बैठक में शामिल होने के लिए 07 जुलाई, 2017 को हैमबर्ग (जर्मनी) पहुंच रहे हैं। बहुत संभव है कि दोनों नेताओं के बीच औपचारिक या अनौपचारिक तौर पर हैमबर्ग में बातचीत हो। इसके अलावा दोनों नेताओं के बीच शीघ्र ही चीन में ब्रिक्स शीर्ष नेताओं की बैठक में भी द्विपक्षीय वार्ता होना तय है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पीएम पद संभालने के बाद मोदी अगर किसी विश्व लीडर से सबसे ज्यादा बार मिले हैं तो वह चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग हैं।

मोदी और चिनफिंग के बीच इन तीन वर्षो में तकरीबन 12 बार मुलाकात हो चुकी है। कुछ हफ्ते पहले ही दोनो ने बहुत ही अच्छे माहौल में अस्ताना में मुलाकात की थी। लेकिन इसके बावजूद आपसी रिश्तों की तल्खी बढ़ती गई है। पिछले दो वर्षो से चीन भारत के हितों के बीच अड़ंगा डालने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा। दो वर्ष पहले संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी मौलाना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव का विरोध कर जो शुरुआत चीन ने की थी वह अब सिक्किम से जुड़े भारतीय क्षेत्र पर दावा करने तक आ चुका है। ऐसे में मोदी और चिनफिंग के बीच एक और मुलाकात से कोई खास उम्मीद नहीं की जानी चाहिए।

जहां तक समूह-20 देशों की बैठक में मुलाकात का सवाल है तो सूत्रों का कहना है कि अभी तक दोनो देशों की तरफ से मुलाकात का प्रस्ताव नहीं आया है लेकिन वहां बैठक इस तरह से चलती है कि हर देश के नेता की दूसरे से कई बार मुलाकात हो जाती है। इसलिए कई बार तैयारी नहीं होने के बावजूद नेता जब एक दूसरे से मिलते हैं तो वह आधिकारिक बैठक का रूप ले लेता है। इसलिए मोदी और शिनफिंग के बीच आधिकारिक तौर पर मुलाकात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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