सूखे के बावजूद बढ़ेगी गेहूं की पैदावार
भारी सूखा व गरम मौसम होने के बावजूद देश में चालू रबी सीजन में गेहूं की पैदावार में लगभग साढ़े आठ फीसद तक की वृद्धि का अनुमान गया है। दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक चालू सीजन में 9.39 करोड़ टन गेहूं की पैदावार होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारी सूखा व गरम मौसम होने के बावजूद देश में चालू रबी सीजन में गेहूं की पैदावार में लगभग साढ़े आठ फीसद तक की वृद्धि का अनुमान गया है। दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक चालू सीजन में 9.39 करोड़ टन गेहूं की पैदावार होगी।
फसल वर्ष (जुलाई से जून) 2014-15 में बेमौसम बारिश के चलते गेहूं का उत्पादन घटकर 8.65 करोड़ टन रह गया था। फाइनल अनुमान में गेहूं की पैदावार में और कमी का आंकड़ा पेश किया गया था। हालांकि चालू साल में गेहूं की पैदावार उतनी नहीं होने वाली है, जितना वर्ष 2013-14 में हुआ था। उस वर्ष 9.59 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।
कृषि मंत्रालय की ओर से सोमवार को फसल वर्ष 2015-16 में गेहूं की पैदावार का यह दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया गया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक गेहूं की बुवाई के समय खेत में नमी की भारी कमी और जाड़े के दिनों में तापमान औसत से अधिक देखते हुए शुरुआत में गेहूं की पैदावार में कमी का अनुमान लगाया जा रहा था। लेकिन जनवरी के आखिरी सप्ताह में तापमान घटने और गेहूं की बेहतर प्रजाति की बुवाई करने से पैदावार में वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।
हालांकि फरवरी-मार्च में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है, जिसका खतरा बना हुआ है। अगर मौसम में यह तब्दीली नहीं आई तो गेहूं की पैदावार में और वृद्धि हो सकती है। सरकार फसल की पैदावार के कुल चार अग्रिम अनुमान जारी करती है। मंत्रालय के मुताबिक गेहूं उत्पादक राज्यों में कहीं से भी रतुआ रोग के प्रकोप की खबर नहीं है। थोड़ी बहुत प्रकोप हरियाणा में थी, जिस पर काबू पा लिया गया है। कृषि मंत्रालय के वैज्ञानिक इस पर नजर बनाए हुए हैं।
गेहूं की अनुमानित पैदावार का आंकड़ा आता ही खाद्य मंत्रालय ने गेहूं खरीद का अपना लक्ष्य घोषित कर दिया है। रबी खरीद सीजन में कुल तीन करोड़ टन गेहूं खरीद का लक्ष्य है, जो सीधे किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद होगी। पिछले साल कुल 2.80 करोड़ टन गेहूं की खरीद हुई थी।
दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक फसलों का कुल उत्पादन 25.31 करोड़ टन होगा, जो पिछले फसल वर्ष के मुकाबले अधिक है। गेहूं के साथ दालों की पैदावार में भी मामूली वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। यह पिछले साल के मुकाबले मामूली रूप से बढ़कर 1.73 करोड़ टन रहेगी। हालांकि इतनी दाल से घरेलू जरूरतों को पूरा करना संभव नहीं होगा। दालों की घरेलू मांग 2.20 से 2.30 करोड़ टन होती है।
गेहूं व दाल के अलावा चावल, मोटे अनाज और तिलहन, गन्ना, कपास और जूट की पैदावार में कमी आने के आसार हैं। चावल की पैदावार पिछले सीजन के 10.54 करोड़ टन के मुकाबले 10.36 करोड़ रहेगी। जबकि मोटे अनाज की पैदावार 4.28 करोड़ टन से घटकर 3.84 करोड़ रहने की संभावना है। इसी तरह तिलहन की पैदावार 2.75 करोड़ टन से घटकर 2.63 करोड़ टन रहेगी। सबसे अधिक गिरावट सोयाबीन की पैदावार में आने वाली है। चीनी के भाव न बढ़ने की वजह से किसानों को उनके गन्ने का भुगतान पिछले दो सालों से नहीं हो पा रहा है। इसके मद्देनजर किसानों ने गन्ने की खेती से तौबा करनी शुरु कर दी है।