Move to Jagran APP

फसलों की घटती गुणवत्ता का तोड़ है देसी ड्राई फूड खोइला, जानें क्या है इसके फायदे

फसलों की घटती गुणवत्ता को सही करने के लिए देसी ड्राई फूड खोइला को एक रिसर्च में कारगार बताया गया है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Thu, 12 Sep 2019 02:53 PM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 03:07 PM (IST)
फसलों की घटती गुणवत्ता का तोड़ है देसी ड्राई फूड खोइला, जानें क्या है इसके फायदे
फसलों की घटती गुणवत्ता का तोड़ है देसी ड्राई फूड खोइला, जानें क्या है इसके फायदे

रायपुर जेएनएन। हाइब्रिड के दौर में फसलों की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आती जा रही है। रिसर्च के अनुसार  फल, सब्जियां, अनाज में पोषक तत्वों की मात्रा घट रही है। ऐसे में देशी ड्राईफूड हाइब्रिड का तोड़ बन सकता है। हाइब्रिड फसलों का उपयोग बड़ी तादाद में इसलिए शुरू हुआ क्योंकि यह हर मौसम में फसल उत्पादन में सक्षम है। लेकिन, इस चलन के पीछे देशी ड्राइफूड यानी खोइला धीरे-धीरे विलुप्त होने लगा। अगर एक ताजा हाइब्रिड टमाटर की तुलना उसी मात्रा में टमाटर के खोइला से की जाए तो खोइला में हाइब्रिड ताजा फसल के मुकाबले पोषक तत्वों की मात्रा ज्यादा होगी।

loksabha election banner

क्या है खोइला 
नई पीढ़ी यह भी पूछ सकती है कि ये खोइला क्या होता है? बता दें कि छत्तीसगढ़ में खाद्य प्रसंस्करण की सबसे पुरानी तकनीक को खोइला के रूप में जाना जाता है। जब शाक-सब्जी का सीजन और बंपर उत्पादन होता है, उस समय कुछ खास सब्जियों को तेज धूप में सूखाकर सुरक्षित ढंग से रख लिया जाता है। इसे छत्तीसगढ़ी में खोइला कहते हैं। यह खासकर बारिश के सीजन में सेहत का विशेष ख्याल रखता है।

बारिश के मौसम में खास उपयोगी
बारिश के सीजन में खोइला की सब्जी जनस्वास्थ्य के लिए न केवल लाभदायक है। वरन, मौसमी बीमारियों से बचाव में भी सहायक है। खोइला की सब्जी बारिश के दिनों में खाकर बड़े-बुजुर्ग पहले जहां तंदुरूस्त रहते थे। वहीं वर्तमान समय में रसायनयुक्त सब्जियों के उपभोग से पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल रहा है। ताजा सब्जियां खाने के बावजूद युवाओं में भी तंदरूस्ती की कमी दिख रही है। यही कारण है कि मौसम बदलने के साथ-साथ सेहत पर बहुत जल्दी प्रतिकूल प्रभाव दिखने लगता है। वायरल और अन्य मौसमी बीमारियों की चपेट में बच्चे-बड़े सभी आ रहे हैं।

उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक है खोइला
वर्तमान के आपाधापी और भागदौड़ भरी जीवनशैली के बीच छत्तीसगढ़ी खोइला उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक है। खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े कृषि वैज्ञानिक गजेंद्र सिंह का कहना है कि खोइला खासकर बारिश के दिनों में बहुत उपयोगी है। बारिश के सीजन में हरा शाक-सब्जी में कीड़े और बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। ऐसे समय में हरा सब्जी के स्थान पर खोइला का उपयोग रसोई में किया जाना चाहिए। इससे निश्चय ही सेहत का बहुत अच्छे ढंग से ख्याल रखा जा सकता है।

रिसर्च में माना गया बेहतर मानव आहार
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के फूड प्रोसेसिंग विभाग ने छत्तीसगढ़ी खोइला-पौष्टिक आहार पर खास रिसर्च किया है। इसमें यह पता चला है कि खोइला 21वीं सदी में भी उपयोगी और बेहतर मानव आहार है। खास तरह की पैकेजिंग के जरिए इसे कई महीनों तक सुरक्षित रख सकते हैं। बरसात के दिनों में अथवा जब मौसमी सब्जियों की कमी हो, तब इसका उपयोग करके बेहतर पोषण का लाभ लिया जा सकता है।

दो दशक में विलुप्ति की कगार पर पहुंची तकनीक
सिर्फ दो दशक पहले तक राज्य के गांवों से लेकर शहरों तक लोगों की रसोई में खोइले का जायका मिल जाया करता था। तब ठंड और गर्मी के दिनों में टमाटर और बैंगन का बहुतायात में उत्पादन होता था। लोगों को पता था कि दूसरे मौसम में बैंगन और टमाटर का जायका नहीं मिलेगा। इसलिए वे खाद्य प्रसंस्करण के प्रति जागरूक थे, लेकिन धीरे-धीरे हाइब्रिड फसलों ने इस प्राचीन तकनीक को विलुप्तता की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि अब भी खोइला उतना ही उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक है। अब तो आधुनिक पद्धति से भी खोइला बनाने के लिए सोलर ड्रायर बाजार में उपलब्ध है। क्रेडा के माध्यम से इस तरह के ड्रायर पर विशेष छूट भी दी जाती है। कुछ देशी मॅाल और वन विभाग की संजीवनी शॉप में भी आपको अलग-अलग  फल और सब्जियों के खोइला मिल जाएंगे।

विदेश में ड्राई पैकेजिंग
फूड प्रोसेसिंग विभाग के प्राध्यापक सौमित्र तिवारी का कहना है कि छत्तीसगढ़ में आदिकाल से परंपरा रही है कि गर्मी या ठंड के सीजन में सब्जी की अधिकता होने पर लोग उसे काटकर धूप में सूखा देते थे। बरसात में जब सब्जी की किल्लत होती थी तब इसका उपयोग करते थे। इस तरह खोइला हर घर का हिस्सा होता था। अमेरिका, फ्रांस, चीन जैसे देश सब्जियों को ड्राई करके पैकेजिंग के जरिए विश्वभर में खासा व्यापार कर रहे हैं। इस तरह का व्यवसाय अपने प्रदेश और देश में भी किया जा सकता है।

निकालो, पकाओ और खाओ
खोइला की खासियत यह है कि आवश्यकतानुसार जब जरूरत हो निकालो, पकाओ और खाओ। इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन की उपलब्धता कृषि वैज्ञानिकों को खाद्य प्रसंस्करण में मिली है।खोइला के प्रमुख प्रकारों में रखिया की बड़ी, कद्दू की बड़ी, मूली की बड़ी, बंगैन, टमाटर, भिंडी, करेला, मसरूम, टमाटर, पत्तागोभी, शाक भाजी में अमारी, चने का भाजी अर्थात सुक्सा आदि प्रमुख रूप से शामिल है। 

यह भी पढ़ें: पाकिस्तानी मंत्री का कबूलनामा, इमरान सरकार ने इस आतंकी संगठन पर खर्च किए करोड़ों रुपये


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.